कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि उनका मंदिर जाना ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ नहीं है, लेकिन इससे भाजपा को परेशानी होती है क्योंकि वह हर चीज पर अपना एकाधिकार चाहती है। उन्होंने कहा कि देश में इस समय ‘वैचारिक युद्ध’ चल रहा है और आरएसएस के खिलाफ इस वैचारिक लड़ाई का केंद्र कांग्रेस है।
‘हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट’ में गांधी ने मंदिर जाने के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘यह दिलचस्प है। मैं मंदिर, गुरुद्वारा और मस्जिद 16 वर्षों से जा रहा हूं। लेकिन गुजरात चुनाव से इसका प्रचार होने लगा है। मुझे लगता है कि इस तरह की चीजों से भाजपा को परेशानी होती है। उन्हें लगता है कि सिर्फ वो ही मंदिर जा सकते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हिंदू धर्म और हिंदुत्व में अंतर है। हिंदू धर्म एक दर्शन है, लेकिन हिंदुत्व एक राजनीतिक विचारधारा है। यह (मंदिर जाना) सॉफ्ट हिंदुत्व नहीं है। मुझे समझ नहीं आता कि मैं मंदिर क्यों नहीं जा सकता? मैं गुरुद्वारा, गिरजाघर और मस्जिद क्यों नहीं जा सकता? अगर मुझे कोई आमंत्रित करता है और मैं नहीं जाता हूं तो यह उनका अपमान होगा।’
राहुल ने कहा, ‘‘भाजपा को लगता है कि यह (मंदिर जाना) उनका एकाधिकार है। वे हर संस्थान पर अपना अधिकार चाहते हैं। यह भारत का स्वभाव नहीं है. भारत का स्वभाव 1.3 अरब लोगों की कल्पनाएं हैं और आप इन कल्पनाओं को दबा नहीं सकते. लेकिन भाजपा और आरएसएस के लोग इन 1.3 अरब कल्पनाओं को दबाना चाहते हैं और अपनी बड़ी कल्पना थोपना चाहते हैं।’’
आरएसएस पर बार-बार हमला किए जाने से जुड़े सवाल पर कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘एक तरह से वैचारिक युद्ध चल रहा है। भाजपा की विचारधारा को जो परिभाषित करता वो आरएसएस है। भाजपा जिन मुख्य विचारों के लिए लड़ रही है, उनकी उन्हें समझ नहीं है. इनकी समझ आरएसएस को है क्योंकि ये उसके विचार हैं। दूसरी तरफ, कई नजरिए हैं और वे आरएसएस के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। कांग्रेस पार्टी इसका वैचारिक केंद्र है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ कांग्रेस अपने आप में खुद एक विचारधारा है। यह विचारधारा सबको जोड़ने, संवाद करने और सभी साथ लेकर चलने की है। यही विचार है जिससे अब तक भारत सफल रहा है।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस भी आरएसएस की तरह कैडर बनाना चाहती है तो राहुल गांधी ने कहा कि उनकी पार्टी कभी भी ऐसे कैडर नहीं चाहती है। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस कभी भी आरएसएस की तरह कैडर नहीं बना सकती और बनाना भी नहीं चाहिए। आरएसएस की कैडर व्यवस्था का मकसद भारत की संस्थाओं पर कब्जा करना है। हम ऐसा नहीं चाहते। अगर हम चाहें भी तो ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि हमारा विचार ऐसा नहीं है। हम सभी संस्थाओं को स्वतंत्र रखना चाहते हैं।’’