प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार 12 अक्टूबर को 28वें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के स्थापना दिवस कार्यक्रम को संबोधित किया। एनएचआरसी स्थापना दिवस कार्यक्रम का आयोजन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया गया। इस कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और एनएचआरसी के अध्यक्ष जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा भी मौजूद रहे।
पीएम मोदी ने सभी को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के 28वें स्थापना दिवस की बधाई देते हुए कहा कि, “पिछले एक दशक से दुनिया इस उलझन में थी कि संघर्ष या युद्ध जैसी स्थिति से कैसे निपटा जाए लेकिन भारत हमेशा मानवाधिकारों के लिए प्रतिबद्ध और संवेदनशील रहा है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने सिर्फ राजनीतिक और व्यक्तिगत लाभ के नाम पर मानवाधिकार की अलग अलग व्याख्या करने वालों की आलोचना करते हुए कहा कि हाल के वर्षों में मानवाधिकार की व्याख्या कुछ लोग अपने-अपने तरीके से, अपने-अपने हितों को देखकर करने लगे हैं। एक ही प्रकार की किसी घटना में कुछ लोगों को मानवाधिकार का हनन दिखता है और वैसी ही किसी दूसरी घटना में इन्हीं लोगों को मानवाधिकार का हनन नहीं दिखता।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार की मानसिकता नुकसानदायक बताते हुए कहा कि , मानवाधिकार का बहुत ज्यादा हनन तब होता है जब उसे राजनीतिक रंग से देखा जाता है, राजनीतिक चश्मे से देखा जाता है, राजनीतिक नफा-नुकसान के तराजू से तौला जाता है।
पीएम मोदी ने कहा कि इस तरह का सलेक्टिव व्यवहार लोकतंत्र के लिए नुकसान-दायक सिद्ध होता है ही, साथ ही सलेक्टिव व्यवहार वाले वे लोग मानवाधिकारों के हनन के नाम पर देश की छवि को भी नुकसान पहुंचाने का प्रयास करते हैं। ऐसे लोगों से भी देश को सतर्क रहना है।
पीएम मोदी का यह बयान कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियों की मानसिकता पर एक करारा तंज है। चाहे कश्मीर में 370 हटाए जाने की बात हो, समान नागरिक संहिता हो, तीन तलाक हो या किसानों के लिए तीन कृषि कानून जैसे प्रावधान हो, विपक्ष हर बार मोदी सरकार के इन महत्वपूर्ण सुधारों के खिलाफ मानवाधिकार हनन का मुद्दा उठाकर देश के भीतर अस्थिरता पैदा करने की कोशिश करता रहता है। कई बार तो कांग्रेस के राहुल गांधी व दूसरे विपक्षी नेताओं के द्वारा मानवाधिकार के नाम पर इस ऐसी हरकतें की जा चुकी हैं कि जिससे पूरे भारत की छवि अंतर्राष्ट्रीय मंच पर धूमिल हुई है।