दिवाली जैसे-जैसे नजदीक आती जा रहा ही, वैसे-वैसे पटाखा व्यापारियों के दिलों की धड़कनें बढ़ती जा रही हैं। वजह समय कम होना और पुलिस द्वारा लगातार लगाई जाने वाली रोक है। वही इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने आज साफ कर दिया है कि राजधानी दिल्ली में सिर्फ ग्रीन पटाखे ही बेचे जा सकते हैं, जिनसे पर्यावरण कम प्रदूषित होता है। इस ग्रीन पटाखा को समझ पाना दिल्ली पुलिस के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। ना खुद उन्हें ग्रीन पटाखे के बारे में जानकारी है और ना ही व्यापारियों को इस बारे में समझा पा रहे हैं। सिर्फ आनन-फानन में पटाखा व्यापारियों को यह कह कर दुकानें बंद करवाई जा रही हैं कि आप सिर्फ ग्रीन पटाखे ही बेचें, जिससे व्यापारियों का धंधा बिल्कुल मंदा पड़ा हुआ है।
बता दें कि ग्रीन पटाखे की खासियत है कि ये धूल को सोख लेते हैं व उत्र्सजन का स्तर भी कम कर देते है। साथ ही इन पटाखों की आवाज कम है और इससे आंखों को कोई नुकसान नहीं होता है। इसके जलने से 50 फीसदी तक कम प्रदूषण फैलेगा और इससे वॉटर मॉलेक्यूल्स यानि पानी के अणु उत्पन्न हो सकते हैं। इन ग्रीन पटाखों को जलाने से धूल व खतरनाक गैस कम मात्रा में निकलती है। विशेषज्ञों का कहना है कि ये पटाखे तीन तरह के हैं सेफवॉटर रिलीजर, सेफमिनिमल एल्यूमिनियम व सेफथमाईट क्रेकर। इन पटाखों की खोज भारतीय संस्था राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) ने की है।
इन ग्रीन पटाखों को जलाने पर पर्यावरण प्रदूषण करीब 30 फीसदी तक कम होने की बात कही जा रही है। लेकिन अभी तक यह पटाखे राजधानी के बाजारों में उपलब्ध नहीं है। जिसकी वजह से पुलिस पटाखा व्यापारियों को पटाखे बेचने नहीं दे रही है।
वही सदर बाजार क्रैकर्स एसोसिएशन के महासचिव हरजीत सिंह छाबड़ा का कहना है कि कोर्ट के आदेश के बाद सभी पटाखा व्यवसायियों में आशा जगी थी लेकिन दुकान ना खोलने की वजह से लग रहा है कि इस बार भी धंधा मंदा ही जाने वाला है। सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन पटाखें हैं बेचने के लिए कहा है लेकिन यह अभी तक बाजारों में उपलब्ध ही नहीं हैं।