किसान क्रांति यात्रा मंगलवार को यूपी-दिल्ली बॉर्डर पर पहुंची। यहां गाजीपुर में पहले से तैनात पुलिस ने किसानों को यात्रा को रोक दिया। इस दौरान पुलिस ने हल्का बल प्रयोग भी किया और आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए। पुलिस ने फायरिंग भी की। जिसमें कई किसान घायल हो गए।
किसानों से सुलह के लिए केंद्र सरकार की ओर से राज्यमंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत आगे आए लेकिन बात नहीं बन सकी। कुल 11 मुद्दों पर बात बननी थी लेकिन 7 पर तो सहमति बन गई लेकिन 4 मुद्दे अटक गए। इस पर भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के अध्यक्ष राकेश सिंह टिकैत ने कहा कि सरकार की मंशा किसानों की बात मानने की नहीं है। टिकैत ने कहा कि सरकार के साथ वार्ता नाकाम रही, इसलिए गाजीपुर बॉर्डर पर किसान रातभर प्रदर्शन करेंगे।
क्या है किसानों की मुख्य मांग
किसानों की पहली और प्राथमिक मांग कर्जमाफी है। किसान चाहते हैं कि उनके सभी कर्ज माफ कर दिए जाएं। मंगलवार को सरकार के साथ वार्ता इस मुद्दे पर भी अटक गई क्योंकि यह वित्तीय मसला है।
दूसरी अहम मांग बिजली के बढ़े दाम वापस लेने की है। किसानों का कहना है कि हाल के वर्ष में बिजली बिल ढाई गुना तक बढ़ा दिए गए। डीजल पर 30 से 35 रुपए टैक्स वसूला जा रहा है। ऐसे में किसान क्या कमाएगा और क्या खाएगा।
पिछले साल से गन्ना का भुगतान बकाया है. बकाए की पेमेंट की जाए और जो चीनी मिल मालिक ऐसा न करें, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
60 साल की उम्र वाले किसानों के लिए पेंशन की मांग
सरकार जितनी जल्द हो सके स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू करे। इसमें कृषि क्षेत्र में बड़े सुधारों की सिफारिश की गई है।
कर्ज के बोझ तले दबे और खुदकुशी किए किसानों के परिजनों को नौकरी मिले और मृतक किसानों के परिवारों के लिए घरों की मांग।
फसलों के लिए उचित मूल्य की मांग। किसान संगठनों का कहना है कि सरकार ने फसलों के लिए डेढ़ गुना कीमत की घोषणा तो कर दी लेकिन खरीद तब शुरू होती है जब उपज बिक गई होती है।
डीजल के दामों में कमी की मांग
10 साल पुराने ट्रैक्टर शुरू कराए जाने की मांग। गौरतलब है कि एनजीटी ने एक आदेश में वायु प्रदूषण पर रोक के लिए 10 साल पुराने ट्रैक्टर के उपयोग पर पाबंदी लगा दी है। मंगलवार को सुलह के दौरान सरकार ने किसानों का आश्वस्त किया कि एनजीटी के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली जाएगी।