SCO सम्मेलन में भारत की चीन को चार सूत्रीय शांति पहल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिए संबंध सुधारने के संकेत

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शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के मंच पर भारत और चीन के बीच रणनीतिक स्तर पर महत्वपूर्ण बातचीत हुई। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने चीनी समकक्ष एडमिरल डोंग जून से मुलाकात में संबंधों को पटरी पर लाने के लिए चार बिंदुओं पर आधारित एक व्यावहारिक और दूरदर्शी प्रस्ताव साझा किया। यह बातचीत ऐसे समय में हुई है जब दोनों देशों के बीच सीमा विवाद और सैन्य तनाव लंबे समय से बने हुए हैं।

भारत का चार सूत्रीय प्रस्ताव

राजनाथ सिंह ने चीन से आग्रह किया कि क्षेत्रीय स्थिरता और द्विपक्षीय विश्वास बहाली के लिए निम्नलिखित चार बिंदुओं पर ठोस कार्रवाई की जाए:

  1. 2024 में तय विघटन योजना का पूर्ण रूप से पालन सुनिश्चित किया जाए।
  2. सीमा पर तनाव कम करने हेतु व्यावहारिक और पारदर्शी प्रयास किए जाएं।
  3. सीमांकन और परिसीमन की प्रक्रिया को निष्पक्ष रूप से आगे बढ़ाया जाए।
  4. विशेष प्रतिनिधियों के स्तर पर संवाद तंत्र को सक्रिय रखते हुए मतभेद सुलझाए जाएं और रिश्तों में प्रगति लाई जाए।

राजनाथ सिंह ने अपनी पोस्ट में कहा, यह बातचीत रचनात्मक और दूरदर्शी रही। लगभग छह वर्षों के अंतराल के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू होना बेहद प्रसन्नता का विषय है। यह दोनों देशों के बीच सकारात्मक संकेत है। हमें इस रफ्तार को बनाए रखना चाहिए, ना कि नए विवादों को जन्म देना चाहिए।

इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बिहार की प्रसिद्ध मधुबनी पेंटिंग अपने चीनी समकक्ष को भेंट की। यह मिथिला कला शैली से प्रेरित पेंटिंग पारंपरिक आकृतियों और जीवंत रंगों के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बनी।

चीन की प्रतिक्रिया

इस मुलाकात के बाद चीनी पक्ष की ओर से भी सकारात्मक संकेत मिले। चीन ने कहा कि भारत टकराव नहीं चाहता और दोनों देश आपसी संवाद व विश्वास निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। यह बयान दर्शाता है कि क्षेत्रीय शांति और सहयोग को लेकर चीन भी अब एक लचीला रुख अपना रहा है।

भारत-चीन रक्षा मंत्रियों की यह वार्ता ऐसे समय में हुई है जब एलएसी (LAC) पर तनाव और सैन्य गतिरोध को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं। भारत की यह पहल न केवल संबंधों में स्थिरता लाने का प्रयास है, बल्कि एशिया में शक्ति-संतुलन और शांति के लिए एक सकारात्मक संकेत भी है।

SCO सम्मेलन के दौरान हुई यह उच्चस्तरीय मुलाकात भविष्य में भारत-चीन संबंधों को नया मोड़ देने की क्षमता रखती है। भारत की रणनीति स्पष्ट है — सम्मान, संवाद और संतुलन के माध्यम से मतभेदों को सुलझाना और आगे बढ़ना।