अगर सरकार देश की वफादार है तो सीएए, एनपीआर और एनआरसी पर पीछे हटे: जमीयत प्रमुख

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देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने रविवार को कहा कि अगर केंद्र सरकार देश की वफादार है तो उसे संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी(एनआरसी) पर अपने कदम पीछे खींचने चाहिए। मौलाना मदनी ने ”संविधान बचाओ सम्मेलन” में यह भी कहा की आने वाले दिनों जमीयत देश भर में इन मुद्दों को लेकर देश भर में सभाएं करेगी और सभी धर्मों के लोगों को साथ लेकर लड़ाई लड़ेगी। उन्होंने कहा, “ यह केंद्र सरकार की नीतियों पर मातम मनाने का समय है।

संविधान बचाने की लड़ाई है। कोई भी पार्टी सत्ता में रहकर संविधान के खिलाफ काम करेगी उसका विरोध किया जाएगा।” जमीयत प्रमुख ने कहा, ”भारत के लोगों में एक दूसरे से साथ मिलजुलकर रहने की परंपरा रही है। लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज देश को मजहब के आधार पर बांटा जा रहा है।” मदनी ने आरोप लगाया, ” सत्ता में बने रहने के लिए कुछ जगहों पर भीड़ द्वारा हिंसा की घटनाएं कराई गईं, लेकिन जनता ने पिछले चुनावों में ऐसी ताकतों का मुंह काला कर दिया।” उन्होंने कहा, ” पूरा मुल्क शाहीन बाग बना हुआ है।

कई निर्दोष लोगों की हत्या कराई गईं हैं। कुछ लोग लोकतंत्र के दुश्मन बनकर बैठे हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ खड़ा होना है।” उन्होंने कहा कि देश भर में सभाएं की जाएंगी। अहिंसक तरीके से सभाएं होंगी। यह हिंदू-मुसलमान का मुद्दा नहीं है। सबको साथ लेकर सभाएं होंगी। मदनी ने कहा, “सीएए, एनपीआर और एनआरसी कई पार्टियों ने कहा है कि वह अपने यहां इन्हें लागू नहीं होने देगी। हम उनका धन्यवाद करते हैं।” उन्होंने कहा कि झारखंड और दिल्ली के चुनावों के नतीजे हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल हैं। मदनी ने कहा, “अगर सरकार देश की वफादार है तो उसे सीएए , एनपीआर और एनआरसी पर अपने कदम पीछे खींचने चाहिये। जनगणना करो जैसे पहले होती थी, उसी तरह से इस बार भी किया जाए।”

उन्होंने कहा कि सरकार को पीछे हटना पड़ेगा क्योंकि लोकतंत्र में जनता की ताकत से चलता है। इस मौके पर समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी ने कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को विधानसभा में सीएए के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित कराइये। कांग्रेस नेता आरिफ नसीम खान ने कहा, ”उद्धव ठाकरे के सलाहकार सीएए और एनपीआर पर उन्हें गलत जानकारी दे रहे हैं। सरकार न्यूनतम साझा कार्यक्रम के आधार पर बनी है। इसलिए संविधान के मुताबिक कदम उठाना चाहिए।” कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष नदीम जावेद ने कहा, “सीएए , एनपीआर और एनआरसी सब एक हैं। तीनों का पुरजोर विरोध होना चाहिए। यह लड़ाई धर्मनिरपेक्ष संविधान बचाने की है। “