अगर क्रिकेट नहीं होता तो ईसीबी को हो सकता है 30 करोड़ पौंड का नुकसान

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इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) के प्रमुख टॉम हैरिसन ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण अगर आगामी सत्र में क्रिकेट नहीं खेला जाता है तो ईसीबी को 30 करोड़ पौंड से अधिक का नुकसान हो सकता है। हैरिसन ईसीबी के उन कर्मचारियों में शामिल हैं जो इस संकट से पार पाने के लिये अपने वेतन में कटौती कर रहे हैं।

ईएसपीएनक्रिकइन्फो के अनुसार एक अन्य घटनाक्रम में इंग्लैंड के केंद्रीय अनुबंधित खिलाड़ी ईसीबी के वेतन में 20 प्रतिशत कटौती के प्रस्ताव को अस्वीकार कर सकते हैं। बोर्ड महामारी के कारण पैदा हुई चुनौतियों से पार पाने के लिये इस तरह की योजना बना रहा है। ईसीबी ने मंगलवार को वर्तमान संकट से निपटने के लिये छह करोड़ दस लाख पौंड के पैकेज की घोषणा की थी।

पेशेवर क्रिकेटर्स संघ (पीसीए) प्रमुख टोनी आइरिस को भेजे गये पत्र में हैरिसन ने महामारी से पड़ने वाले लंबी अवधि के प्रभावों को लेकर चिंता जतायी है। अपने इस पत्र में हैरिसन ने दावा किया वह कम से कम आगामी तीन महीने तक अपने वेतन में 25 प्रतिशत की कटौती कर रहे हैं। हैरिसन ने लिखा है, ‘‘खेलों के लिये अभी यह महामारी सबसे बड़ी चुनौती है हालांकि क्रिकेट पर इसके संपूर्ण प्रभाव का अभी पता नहीं है

लेकिन यह स्पष्ट है कि यह बेहद महत्वपूर्ण होगा। ’’ ईसीबी की जमा पूंजी 2016-16 में सात करोड़ 30 लाख पौंड थी जो 2018-19 में घटकर एक करोड़ दस लाख पौंड रह गयी थी। ऐसे में अगर इस सत्र में क्रिकेट नहीं खेला जाता है तो ईसीबी के वित्तीय कोष पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। हैरिसन ने कहा, ‘‘हम केवल खेल पर कुल वित्तीय प्रभाव का अनुमान लगा सकते है जो कि कुछ समय तक स्पष्ट नहीं होगा।

लेकिन अनुमानों के अनुसार पूरा क्रिकेट सत्र गंवाने पर इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट को 30 करोड़ पौंड से भी अधिक का नुकसान होगा। ’’ इंग्लैंड ने कोविड-19 महामारी के कारण 28 मई तक सभी तरह की पेशेवर क्रिकेट स्थगित कर रखी है। इस बीमारी के कारण विश्व भर में अभी तक 40,000 लोगों की मौत हुई है। इस साल काउंटी सत्र को लेकर अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है।

पहले काउंटी सत्र 12 अप्रैल से शुरू होना था। हैरिसन इन परिस्थितयों में केंद्रीय अनुबंध वाले खिलाड़ियों के वेतन में 20 प्रतिशत की कटौती चाहते हैं और उन्हें उम्मीद है कि खिलाड़ी इसे स्वीकार करेंगे।रिपोर्टों के अनुसार पीसीए ने अभी तक पत्र का जवाब नहीं दिया है।