विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की तरफ से सर्जिकल स्ट्राइक की दूसरी वर्षगांठ के मौके पर विश्वविद्यालयों को जारी किए गए आदेश पर विवाद को देखते हुए सरकार ने सफाई पेश की है। मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि यह सर्कुलर संस्थानों के लिए अनिवार्य नहीं है. यह उनके इच्छा पर निर्भर करता है।
जावड़ेकर ने कहा, ‘हमने संस्थानों और छात्रों के लिए यूजीसी सर्कुलर को अनिवार्य नहीं किया है। कई शिक्षकों और छात्रों के सुझाव पर हमने एक कार्यक्रम जारी किया था।’ उन्होंने कहा, ‘हमने कॉलेजों से कहा कि जो संस्थान इच्छुक हैं वे अपने यहां 29 सितंबर को सेना के पूर्व अफसरों का भाषण आयोजित करा सकते हैं जो छात्रों को बताएंगे कि जवान किस तरह देश की सुरक्षा करते हैं, और सर्जिकल स्ट्राइक को किस तरह अंजाम दिया गया।’
वहीं कांग्रेस ने इस आदेश को लेकर केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा किया है। कांग्रेस ने भाजपा पर सेना की कार्रवाई को लेकर राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश का आरोप लगाया है.
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा, ‘सेना पर हमें गर्व है, जब सर्जिकल स्ट्राइक हुई तब मैं उत्तराखंड का मुख्यमंत्री था, और तब हमने कैबिनेट की बैठक बुलाकर अपने जवानों को सैल्यूट किया, लेकिन जिस सेना की कार्रवाई पर पूरे देश को गर्व है, सरकार उसका राजनीतिक फायदा लेना चाहती है।’
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने देशभर की यूनिवर्सिटीज और हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट को 29 सितंबर को ‘सर्जिकल स्ट्राइक दिवस’ के तौर पर मनाने का आदेश दिया है।
यूजीसी ने सर्जिकल स्ट्राइक डे मनाने के लिए सशस्त्र बलों के बलिदान के बारे में पूर्व सैनिकों से संवाद सत्र, विशेष परेड, प्रदर्शनियों का आयोजन और सशस्त्र बलों को अपना समर्थन देने के लिए उन्हें ग्रीटिंग कार्ड भेजने समेत अन्य गतिविधियां आयोजित करने का सुझाव भी दिया है।