
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में एक बड़ा और अहम फैसला लिया गया है। इस समझौते के तहत अमेरिका में डिजाइन किए गए परमाणु रिएक्टर्स अब भारत में स्थापित किए जा सकेंगे। इसके लिए दोनों देशों ने तकनीकी स्थानांतरण पर सहमति जताई है, जिससे इन रिएक्टर्स का उत्पादन भारत में ही किया जाएगा। यह निर्णय भारत के ऊर्जा संकट को दूर करने और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
गौरतलब है कि भारत और अमेरिका के बीच 2008 में नागरिक परमाणु समझौता हुआ था, जो दोनों देशों के बीच ऊर्जा साझेदारी का एक ऐतिहासिक कदम था। हालांकि, इस समझौते के तहत अभी तक भारत में अमेरिका द्वारा डिजाइन किया गया कोई भी परमाणु रिएक्टर स्थापित नहीं किया जा सका था। अब पीएम मोदी के इस दौरे में उनके और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच इसे लेकर सहमति बन गई है, जिससे भारत में अमेरिकी डिजाइन वाले परमाणु रिएक्टर्स स्थापित होने का रास्ता साफ हो गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता भारत के ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक नए युग की शुरुआत करेगा। वर्तमान में, भारत को अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए पारंपरिक ईंधनों पर निर्भर रहना पड़ता है, जिससे पर्यावरणीय प्रदूषण भी बढ़ता है। इस समझौते के तहत परमाणु ऊर्जा को बढ़ावा देकर भारत को दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त होगी।
तकनीकी स्थानांतरण की सहमति बनने के बाद भारत में ही परमाणु रिएक्टर्स का उत्पादन किया जाएगा, जिससे न केवल देश को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी बल्कि इससे भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को नई तकनीक सीखने का अवसर भी मिलेगा। साथ ही, यह सौदा भारतीय उद्योगों के लिए भी फायदेमंद साबित होगा, क्योंकि इसमें कई स्वदेशी कंपनियों को भाग लेने का अवसर मिलेगा।
पीएम मोदी के इस दौरे में परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में हुआ यह समझौता भारत के ऊर्जा भविष्य के लिए एक बड़ा मील का पत्थर साबित हो सकता है। यह न केवल भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर देश की परमाणु ऊर्जा क्षमताओं को भी मजबूत करेगा।