हेड और नेक कैंसर अब युवाओं को बना रहा है शिकार, जागरूकता और सतर्कता ही बचाव का रास्ता

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हेड और नेक कैंसर यानी सिर और गर्दन के हिस्सों में होने वाला कैंसर अब सिर्फ बुजुर्गों की बीमारी नहीं रही। हाल के वर्षों में यह बीमारी युवाओं को भी तेजी से अपनी चपेट में ले रही है। 20 से 30 साल के लोग भी इस खतरनाक बीमारी के शिकार हो रहे हैं, जो चिंता का विषय है। इसी कारण हर साल अप्रैल महीने को “हेड और नेक कैंसर जागरूकता माह” के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को इस बीमारी के लक्षण, कारण, जांच और बचाव के बारे में जानकारी देना है ताकि समय रहते उपचार किया जा सके और जान बचाई जा सके।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस बीमारी के पीछे सबसे बड़ा कारण तंबाकू और उसके उत्पाद हैं। बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, गुटखा, खैनी, जर्दा और सुपारी जैसी चीजें युवाओं को कम उम्र में ही बीमार बना रही हैं। इसके अलावा शराब का सेवन, बढ़ता प्रदूषण, मिलावटी भोजन, तनाव, नींद की कमी और अस्वस्थ जीवनशैली भी इस बीमारी के खतरे को बढ़ा रहे हैं।

हेड और नेक कैंसर क्या होता है?

हेड और नेक कैंसर शरीर के सिर और गर्दन के हिस्सों में विकसित होता है। इसमें मुंह, गाल, जीभ, गला, टॉन्सिल, आवाज की नली, खाने की नली का ऊपरी हिस्सा, नाक, साइनस और आंखों के पास की हड्डियां शामिल होती हैं। कुछ मामलों में थायरॉयड और पैरोटिड ग्रंथि का कैंसर भी इसी श्रेणी में आता है।

किन लक्षणों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए?

इस बीमारी के कुछ शुरुआती लक्षण होते हैं, जिन्हें नज़रअंदाज़ करना खतरनाक हो सकता है –

मुंह में ऐसा छाला जो लंबे समय तक ठीक न हो

गाल या जीभ में गांठ या सूजन

आवाज का बदल जाना या बैठ जाना

निगलने में दिक्कत या गले में लगातार दर्द

कान में दर्द रहना

गर्दन में गांठ या सूजन

नाक से खून या गाढ़ा काला म्यूकस आना

कैसे होती है जांच?

अगर किसी व्यक्ति को लंबे समय से इन लक्षणों में कोई सुधार नहीं दिखाई दे रहा है, तो डॉक्टर बायोप्सी कराने की सलाह देते हैं। इसमें उस हिस्से से ऊतक का सैंपल लेकर जांच की जाती है। इसके अलावा सीटी स्कैन, एमआरआई और पेट स्कैन से यह पता लगाया जाता है कि कैंसर किस स्टेज पर है और कितना फैल चुका है। हाल ही में लिक्विड बायोप्सी जैसी तकनीक भी आई है, जिसमें खून के नमूनों से कैंसर का पता लगाया जा सकता है। यह उन मामलों में मददगार है, जहां पारंपरिक बायोप्सी कठिन हो।

विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इलाज के बाद भी मरीज तंबाकू या शराब का सेवन करता रहता है, तो कैंसर दोबारा लौट सकता है। खासकर एडवांस स्टेज पर इलाज करवा चुके मरीजों में इसका खतरा ज्यादा होता है। शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता यानी इम्यून सिस्टम की भूमिका भी बहुत अहम होती है।

कैसे करें बचाव?

तंबाकू और शराब से पूरी तरह दूरी बनाएं

संतुलित और पोषणयुक्त आहार लें

नियमित व्यायाम करें और तनाव से बचें

समय-समय पर डॉक्टर से चेकअप कराते रहें

जागरूक रहें और दूसरों को भी जागरूक करें

हेड और नेक कैंसर से बचाव के लिए सबसे जरूरी है समय पर पहचान, स्वस्थ जीवनशैली और बुरी आदतों से दूरी। यह बीमारी किसी को भी हो सकती है, लेकिन यदि समय रहते इसके संकेतों को पहचाना जाए और उपचार शुरू किया जाए, तो इससे बचा भी जा सकता है और ठीक भी हुआ जा सकता है। जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार है।