पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा की भव्य शुरुआत, विदेशों से आए श्रद्धालु भी हुए शामिल

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आस्था और भक्ति का महासागर, ओडिशा के पुरी में एक बार फिर उमड़ा जब भगवान श्री जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र की विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा का शुभारंभ हुआ। तीनों रथों की भव्य शोभायात्रा के पहले दिन लाखों श्रद्धालु इस अलौकिक दर्शन और आयोजन के साक्षी बने।

सुबह से ही रथ यात्रा स्थल पर भक्तों की भारी भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। जय जगन्नाथ और हरिबोल के गगनभेदी जयघोष, शंखनाद, मंजीरों और ढोल-तुरही की ध्वनि ने पूरे मंदिर नगर को भक्तिमय वातावरण से भर दिया।

रथ यात्रा का शुभारंभ शुक्रवार को शाम 4 बजकर 8 मिनट पर भगवान बलभद्र के तालध्वज रथ के अग्रसर होने से हुआ, जिसके बाद देवी सुभद्रा का दर्पदलन रथ और अंत में भगवान जगन्नाथ का नंदीघोष रथ आगे बढ़ा। तीनों रथों को आकर्षक रंग-बिरंगे लकड़ी के घोड़ों से सजाया गया था। पुजारियों ने देवताओं का रथों पर विधिपूर्वक स्वागत किया, जबकि श्रद्धालुओं ने रथ खींचने का सौभाग्य प्राप्त किया।

राज्यपाल हरि बाबू कंभमपति और मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी भी रथ खींचने वालों में शामिल हुए। यह यात्रा 12वीं सदी के ऐतिहासिक श्रीमंदिर से प्रारंभ होकर करीब 2.6 किलोमीटर दूर स्थित गुंडिचा मंदिर तक जाएगी, जिसे भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है। यहां वे नौ दिनों तक विराजमान रहेंगे और 5 जुलाई को श्रीमंदिर में पुनः प्रवेश करेंगे।

अंतरराष्ट्रीय श्रद्धालुओं का उत्साह

इस पावन अवसर पर भारत ही नहीं, विदेशों से भी श्रद्धालु पहुंचे। पश्चिमी अफ्रीका से आई एक महिला श्रद्धालु ने भावविभोर होकर कहा, “यह मेरी पहली रथ यात्रा है। हमने भगवान जगन्नाथ के दर्शन किए हैं, अब उम्मीद है कि उनके रथ को खींचने का सौभाग्य भी मिलेगा।” वहीं, कीर्गिस्तान से आए श्रद्धालुओं का एक दल भी इस आयोजन में भाग लेने पुरी पहुंचा।

भारत में पिछले 20 वर्षों से रह रही श्रद्धालु गौरांगी ने कहा, “कल रथ यात्रा का पहला दिन था और लाखों लोग आए। मुझे उम्मीद है कि भगवान जगन्नाथ दया करेंगे और मुझे भी उनका रथ खींचने का मौका मिलेगा।”

अभूतपूर्व श्रद्धा और व्यवस्था

जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के मुख्य प्रशासक अरबिंद के पधी ने बताया कि सभी परंपराएं और अनुष्ठान समयानुसार संपन्न हुए। रथ यात्रा का संचालन पूरी श्रद्धा और सुरक्षा के साथ किया गया।प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने भी रथ यात्रा में भाग लिया और कहा, भगवान जगन्नाथ दिव्य हैं। वे भक्तों को दर्शन देने के लिए मंदिर से बाहर आते हैं। मुझे उनके दिव्य दर्शन की अनुभूति हुई है।

हालांकि इस भव्य आयोजन के बीच अफरा-तफरी के कुछ दृश्य भी देखने को मिले। भगवान बलभद्र का रथ खींचने के दौरान भारी भीड़ के दबाव में करीब 625 श्रद्धालु घायल हो गए। कुछ लोगों को दम घुटने की शिकायत पर अस्पताल ले जाया गया। प्रशासन ने तुरंत राहत कार्य शुरू कर स्थिति पर काबू पाया। सूर्यास्त के बाद रथ नहीं खींचे जाते, इसलिए यात्रा को अस्थायी रूप से विश्राम दिया गया।

पुरी की यह रथ यात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की आस्था, परंपरा और एकता का जीता-जागता प्रमाण है, जिसमें न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया से भक्त जुटते हैं।