शत्रु पर विजय और कष्टों से मुक्ति देती हैं ‘माँ बगलामुखी’, वाद-विवाद और जीवन संग्राम में अजेय शक्ति हैं माँ!

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माँ बगलामुखी दस महाविद्याओं में से आठवीं और तंत्र की प्रमुख देवी हैं, जो शत्रुनाश, वाद-विवाद में विजय और बुद्धि प्रदान करती हैं। उनके प्रसिद्ध मंदिरों में हिमाचल का बनखंडी और मध्य प्रदेश का नलखेड़ा मंदिर शामिल है। उनके मंत्रों में सबसे महत्वपूर्ण है “ऊं ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदंस्तम्भय, जिहवां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ऊं स्वाहा”, जिसे सिद्ध करने पर जीवन में कष्टों से मुक्ति मिलती है।
इतिहास और कथा
द्वापर युग:
मान्यता है कि बगलामुखी मंदिर का निर्माण पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान किया था, विशेषकर हिमाचल के बनखंडी में, जहाँ अर्जुन ने देवी की आराधना की थी।
शंखासुर वध:
बगलामुखी देवी ने शंखासुर नामक राक्षस का वध करने के लिए अवतार लिया था, जो किसी भी बाधा को रोकने या नियंत्रित करने की शक्ति देती हैं।
राम का विजय:
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम ने भी रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए हनुमान के मार्गदर्शन में बगलामुखी देवी की पूजा की थी, जिन्होंने राम को ब्रह्मास्त्र प्रदान किया था।
महत्वपूर्ण मंदिर, बगलामुखी मंदिर, नलखेड़ा, मध्य प्रदेश:
यह तीन मुखों वाली त्रिशक्ति देवी का एक अत्यंत चमत्कारिक मंदिर है, जहाँ साधक तांत्रिक अनुष्ठान के लिए आते हैं।
बगलामुखी धाम, बनखंडी, हिमाचल प्रदेश:
इस मंदिर को पांडवों ने बनवाया था और यह कांगड़ा जिले के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। यह स्थान शक्ति और शत्रुनाश के लिए जाना जाता है।
बगलामुखी मंत्र, 36 अक्षरों का महामंत्र:
इस मंत्र का जाप शत्रुओं को निष्क्रिय करने और बुद्धि व विजय प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
मंत्र: “ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदंस्तम्भय, जिहवां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ऊं स्वाहा”।
लाभ: इस मंत्र की सिद्धि से किसी भी प्रकार की दुर्घटना, हार और शत्रुओं की बुरी शक्ति का नाश होता है, और जीवन में शक्ति व सद्बुद्धि आती है।