
संसद के निचले सदन लोकसभा में ग्रामीण विकास और शासन व्यवस्था से जुड़े अहम ‘G RAM G’ (जी राम जी) विधेयक को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। सरकार ने इस बिल को ग्रामीण भारत के लिए ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि इससे गांवों में विकास की रफ्तार तेज होगी और पारदर्शी शासन व्यवस्था को मजबूती मिलेगी। सत्ता पक्ष का दावा है कि यह विधेयक गांवों के लिए एक नए “स्वर्ण युग” की शुरुआत साबित होगा।
सरकार के अनुसार, ‘G RAM G’ बिल का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण भारत में प्रशासनिक व्यवस्था को डिजिटल और जवाबदेह बनाना है। इसके तहत पंचायतों को सीधे केंद्र सरकार से जोड़ा जाएगा, जिससे विकास योजनाओं की निगरानी बेहतर हो सकेगी और भ्रष्टाचार पर प्रभावी नियंत्रण लगेगा। साथ ही, गांवों में बुनियादी ढांचे, कृषि विकास और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ाने पर खास जोर दिया गया है। सरकार का कहना है कि यह कानून ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता और कौशल विकास को नई दिशा देगा, जिससे युवाओं को अपने ही गांव में रोजगार के बेहतर मौके मिल सकेंगे।
बिल पर चर्चा के दौरान केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान के बयान ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया। उन्होंने विपक्षी दल कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि यह पार्टी अब अपनी प्रासंगिकता खो चुकी है। शिवराज सिंह चौहान ने महात्मा गांधी का हवाला देते हुए कहा कि आजादी के बाद कांग्रेस को भंग करने की सलाह दी गई थी और आज जिस तरह से वह ग्रामीण विकास से जुड़े हर सुधार का विरोध कर रही है, उससे यह विचार और भी प्रासंगिक लगने लगा है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने दशकों तक गांवों को सिर्फ वोट बैंक समझा, जबकि मौजूदा सरकार उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ठोस कदम उठा रही है।
वहीं, विपक्ष ने इस विधेयक को लेकर सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि यह कानून राज्यों के अधिकारों का हनन कर सकता है और संघीय ढांचे को कमजोर करेगा। उनका आरोप है कि केंद्र सरकार विकास के नाम पर अधिक शक्तियां अपने हाथ में ले रही है। हालांकि, सत्ता पक्ष ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह विधेयक राज्यों और पंचायतों को मजबूत करने के लिए लाया गया है, न कि उनके अधिकार छीनने के लिए।
कुल मिलाकर, ‘G RAM G’ बिल का पारित होना सरकार के लिए एक बड़ी विधायी सफलता माना जा रहा है, लेकिन शिवराज सिंह चौहान के कांग्रेस को लेकर दिए गए बयान ने इस मुद्दे को राजनीतिक विवाद में बदल दिया है। आने वाले दिनों में इस बिल और उससे जुड़े बयानों पर संसद के भीतर और बाहर सियासी गर्माहट और बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।













