
प्रदेश के सरकारी और अशासकीय विद्यालयों में आज से प्रार्थना सभा के दौरान श्रीमद्भगवद्गीता का नियमित पाठ शुरू हो गया है। शिक्षा विभाग ने निर्देश जारी करते हुए कहा है कि छात्रों को गीता के श्लोकों का सिर्फ पाठ नहीं, बल्कि उसका अर्थ और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से व्याख्या भी समझाई जाएगी।
हर दिन एक श्लोक, सप्ताह में एक “साप्ताहिक श्लोक”
माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती द्वारा सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को जारी निर्देश में स्पष्ट कहा गया है:
हर दिन की प्रार्थना सभा में कम से कम एक श्लोक अर्थ सहित छात्रों को सुनाया जाए।
सप्ताह में एक दिन, किसी मूल्य आधारित श्लोक को “सप्ताह का श्लोक” घोषित किया जाए।
उसे सूचना पट्ट (नोटिस बोर्ड) पर अर्थ सहित प्रदर्शित किया जाए ताकि छात्र-छात्राएं उसका अभ्यास कर सकें।
सप्ताह के अंत में उस श्लोक पर चर्चा की जाए और विद्यार्थियों से फीडबैक भी लिया जाए।
उद्देश्य नैतिक शिक्षा और तर्कशील सोच का समन्वय
शिक्षा विभाग का कहना है कि इस पहल का उद्देश्य विद्यार्थियों में नैतिक मूल्यों का विकास, भारतीय संस्कृति से जुड़ाव, और विज्ञानसम्मत दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करना है। गीता के श्लोकों के माध्यम से बच्चों को कर्तव्य, आत्मनियंत्रण, अनुशासन, और विवेक जैसे जीवन मूल्यों को सरल भाषा में समझाया जाएगा।
शिक्षा विभाग की यह पहल जहां एक ओर अध्यात्म और संस्कृति से जुड़ाव की दिशा में एक प्रयास है, वहीं इसका फोकस तर्क, वैज्ञानिक सोच और विद्यार्थियों के समग्र व्यक्तित्व विकास पर भी है।