चालू वित्त वर्ष 2021-22 (अप्रैल-जनवरी) के पहले दस महीनों में मक्का निर्यात 816.31 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया है, जो पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान अर्जित 634.85 मिलियन डॉलर से अधिक है। वित्त वर्ष 2019-20 में 142.8 मिलियन डॉलर का निर्यात हासिल करने के बाद से, मक्का निर्यात लगभग छह गुना बढ़ गया, जिससे कोविड-19 महामारी के प्रकोप से उत्पन्न लॉजिस्टिक्स संबंधी चुनौतियों के बावजूद पिछले तीन वर्षों में निर्यात का कुल मूल्य 1593.73 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया। बांग्लादेश और नेपाल जैसे पड़ोसी देश भारत से मक्का के प्रमुख आयातक हैं। बांग्लादेश ने चालू वित्त वर्ष (अप्रैल-जनवरी) में 345.5 मिलियन डॉलर का मक्का आयात किया है, जबकि नेपाल ने इस अवधि के दौरान 132.16 मिलियन डॉलर मूल्य का मक्का आयात किया है।
मक्का निर्यात के लिए बांग्लादेश, वियतनाम और नेपाल प्रमुख निर्यात गंतव्यों में शामिल
नए बाजारों की खोज करने और विविधता लाने के लिए वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की पहल के साथ, वियतनाम मक्का के निर्यात के लिए एक प्रमुख गंतव्य के रूप में उभरा है। भारत ने चालू वित्त वर्ष के पहले दस महीनों (अप्रैल-जनवरी 2021-22) में वियतनाम को 244.24 मिलियन डॉलर का मक्का निर्यात किया। अन्य प्रमुख आयातक देश मलेशिया, म्यांमार, श्रीलंका, भूटान, ताइवान, ओमान आदि हैं। मक्का, जिसे वैश्विक रूप से अनाज की रानी के रूप में जाना जाता है, कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के दायरे में आने वाली वस्तुओं के तहत महत्वपूर्ण विदेशी मुद्रा अर्जित करने वाले अनाज के रूप में उभरा है। एपीडा के अध्यक्ष डॉ. एम अंगमुथु ने कहा, “कृषि निर्यात में उल्लेखनीय बढ़ोतरी आवश्यक अवसंरचना के निर्माण तथा कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए मूल्य श्रृंखला में सुधार के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता के प्रमाण के रूप में देखी जाती है।” मक्का भारत में चावल और गेहूं के बाद तीसरी सबसे महत्वपूर्ण अनाज की फसल है। यह फसल मुख्य रूप से कर्नाटक, मध्य प्रदेश, केरल, बिहार, तमिलनाडु, तेलंगाना, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश राज्यों में उगाई जाती है। अन्य अनाजों की तुलना में उच्चतम आनुवंशिक उपज क्षमता होने के कारण, मक्का विभिन्न कृषि-जलवायु परिस्थितियों में व्यापक अनुकूलन क्षमता वाली सबसे बहुमुखी उभरती हुई फसलों में से एक है।
भारत में, मक्के की खेती पूरे साल की जाती है और यह मुख्य रूप से खरीफ की फसल है, जिसके तहत मौसम के दौरान 85 प्रतिशत क्षेत्र में खेती की जाती है। मनुष्यों के लिए मुख्य भोजन और जानवरों के लिए गुणवत्ता वाले आहार के अतिरिक्त, मक्का कई औद्योगिक उत्पादों के लिए एक बुनियादी कच्चे माल/ घटक के रूप में कार्य करता है जिसमें स्टार्च, तेल, प्रोटीन, मादक पेय, फूड स्वीटनर, फार्मास्युटिकल, कॉस्मेटिक, फिल्म, कपड़ा, गोंद, पैकेज और कागज उद्योग आदि शामिल हैं। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात में बढ़ोतरी काफी हद तक एपीडा द्वारा की गई विभिन्न अभिनव पहलों जैसे कि विभिन्न देशों में बी2बी प्रदर्शनियों का आयोजन, भारतीय दूतावासों की सक्रिय भागीदारी द्वारा उत्पाद विशिष्ट और सामान्य विपणन अभियानों के माध्यम से नए संभावित बाजारों की खोज आदि के कारण हुई है। एपीडा ने दुनिया भर के प्रमुख आयातक देशों के साथ कृषि और खाद्य उत्पादों पर वर्चुअल क्रेता-विक्रेता बैठक आयोजित करके भारत में भौगोलिक संकेतक (जीआई) पंजीकृत कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं। निर्यात किए जाने वाले उत्पादों का निर्बाध गुणवत्ता प्रमाणन सुनिश्चित करने के लिए, एपीडा ने उत्पादों और निर्यातकों की एक विस्तृत श्रृंखला को परीक्षण की सेवाएं प्रदान करने के लिए पूरे भारत में 220 प्रयोगशालाओं को मान्यता दी है। एपीडा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों में निर्यातकों की भागीदारी का आयोजन करता है, जो निर्यातकों को वैश्विक बाजार में अपने खाद्य उत्पादों के विपणन के लिए एक मंच प्रदान करता है। एपीडा कृषि-निर्यात को बढ़ावा देने के लिए आहार, ऑर्गेनिक वर्ल्ड कांग्रेस, बायोफैक इंडिया आदि जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों का भी आयोजन करता है।