उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (एनसीएलटी) के उस आदेश को बहाल कर दिया जिसमें जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड : जेएएल : को कहा गया था कि वह अपनी कर्ज के बोझ से दबी सहायक कंपनी जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड : जेआईएल : को 758 एकड़ जमीन लौटाए । यह जमीन विभिन्न बैंकों के पास गिरवी रखी है। एनसीएलएटी ने सभी बैंकों के साथ ही जेएएल की याचिकाओं को मंजूरी प्रदान कर दी थी और कहा था कि लेनदेन सही था और कम कीमत लगाए जाने के आरोप न्यायोचित नहीं हैं।
जेआईएल के इंटरिम रेजोल्यूशन प्रोफेशनल द्वारा दाखिल अपीलों पर फैसला करते हुए शीर्ष अदालत ने एनसीएलएटी के पिछले साल एक अगस्त को पारित फैसले को दरकिनार कर दिया। एनसीएलएटी ने इस मामले में एनसीएलटी इलाहाबाद के 16 मई 2018 के आदेश को खारिज कर दिया था । आदेश में कहा गया था कि जेएएल होल्डिंग कंपनी को उधार देने वाली वित्तीय संस्थाओं के पक्ष में, दीवालियेपन की कार्यवाही का सामना कर रही जेआईएल की संपत्तियां को रेहन रखने का समर्थन नहीं किया जा सकता।
एनसीएलटी ने यह भी कहा था कि जेएएल को उधार देने वाले ‘‘वित्तीय रिणदाता’’ श्रेणी में नहीं आते । एनसीएलटी की इलाहाबाद पीट ने जेएएल को कहा था कि वह 759 एकड़ जमीन अपनी सहायक जेआईएल को वापस करे । साथ ही पीठ ने भूमि स्थानांतरण को ‘‘धोखेबाजी’’ तथा ‘‘कम कीमत आंकने ’’ वाला करार दिया था। न्यायाधीश ए एम खानविलकर और दिनेश माहेश्वरी ने अपने 174वें फैसले में आईबीसी के विभिन्न प्रावधानों पर विचार किया और एनसीएलएटी के फैसले को पलट दिया।
इस मामले में शामिल बैंकों में एक्सिस बैंक, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एसबीआई, बैंक आफ महाराष्ट्र, यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया, सेंट्रल बैंक आफ इंडिया, यूको बैंक, करूर वैश्य बैंक, एलएंडटी इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी, केनरा बैंक, कर्नाटक बैंक, आईएफसीआई, इलाहाबाद बैंक, जम्मू कश्मीर बैंक और साउथ इंडियन बैंक लिमिटेड शामिल हैं । बैंकों ने जेपी ग्रुप की महत्वपूर्ण कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स को जेपी इंफ्राटेक के स्वामित्व वाले भूमि बैंक के बदले में रिण दिए थे ।