हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पंजाब में नई सरकार बनने पर सतलुज-यमुना लिंक नहर का मामला उठाया है। उन्होंने कहा कि पंजाब की नई सरकार की अब दोहरी जवाबदेही है, क्योंकि हमने पंजाब से पानी लेना है और दिल्ली को पानी देना है। ऐसे में एसवाईएल के लिए पानी देने की उनकी जवाबदेही ज्यादा है, क्योंकि अब दोनों राज्यों में आम आदमी पार्टी की सरकार है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पंजाब सरकार को अब सोचना पड़ेगा जब कुछ दिनों में उनके प्रदेश का बजट पेश होगा। उनके राज्य का डेबिट टू जीएसडीपी अनुपात 48 प्रतिशत है, जो हरियाणा का महज 24.98 प्रतिशत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अलग-अलग बात की शेखी बघारतें हैं, दिल्ली की हरियाणा से तुलना नहीं हो सकती। दिल्ली में लगभग 1100 सरकारी स्कूल होंगे लेकिन हरियाणा में 15 हजार सरकारी स्कूल हैं। वहीं उनके यहां खेती की जमीन हरियाणा की तुलना में बेहद कम है, जबकि हरियाणा में 80 लाख एकड़ कृषि भूमि है। इसी तरह अलग-अलग क्षेत्रों की भी यही हालत है इसलिए दिल्ली की तुलना हरियाणा से नहीं की जा सकती, बल्कि हरियाणा की तुलना पंजाब से जरूर की जा सकती है।
सीएमजीजीए का किसी संगठन से कोई लेना-देना नहीः मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा में चीफ मिनिस्टर गुड गवर्नेंस एसोसिएट (सीएमजीजीए) का किसी भी राजनीतिक संगठन से कोई लेना-देना नहीं है और सरकार इन्हें कोई वेतन नहीं देती। इनके वेतन के लिए सामाजिक संगठन जरुर काम कर रहे हैं। जो सहभागिता करते हैं। उन्होंने कहा कि एक मुख्यमंत्री किसी को भी अपना सलाहकार रख सकता है । उन्होंने कहा कि पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के साथ-साथ अब समय गवर्नमेंट कम्यूनिटी पार्टनरशिप का है। इसके तहत लोग समाज की भलाई के लिए अपना योगदान कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल के दौरान सरकार द्वारा बनाए गए समर्पण एप्लीकेशन के माध्यम से सामाजिक काम के लिए करीब 75 हजार लोगों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया था और अपनी सामाजिक भागीदारी भी दी थी। इसी तर्ज पर अब नया पोर्टल बनाया गया है। इसके तहत 2900 रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। इन्हें जल्द सामाजिक कार्यों में लगाया भी जाएगा।