
उत्तराखंड के देहरादून में मंगलवार तड़के बादल फटने के बाद अचानक आई बाढ़ ने बड़ा कहर बरपाया। मुरादाबाद मंडल के दर्जनभर मजदूर इसकी चपेट में आ गए। हादसे में मुरादाबाद जिले के बिलारी तहसील के मुंडिया जैन गांव के छह मजदूरों की मौत हो गई, जबकि तीन अब भी लापता हैं। अमरोहा जिले के हसनपुर क्षेत्र के रहरा गांव के तीन मजदूर भी नदी में बह गए, जिनमें से एक का शव बरामद कर लिया गया है।
काम के दौरान बढ़ा जलस्तर, बह गए मजदूर
मुरादाबाद जिले की बिलारी तहसील के थाना सोनकपुर क्षेत्र के मुंडिया जैन गांव निवासी लगभग 20 मजदूर कुछ दिन पहले देहरादून के सहसपुर विधानसभा क्षेत्र में मजदूरी करने गए थे। मंगलवार तड़के वे नदी किनारे बजरी और रेत निकाल रहे थे कि अचानक बादल फटने से जलस्तर बढ़ गया और तेज बहाव में मजदूर बह गए।
इसी तरह अमरोहा जिले के हसनपुर क्षेत्र के रहरा और आसपास के गांवों के 11 मजदूर भी देहरादून के बाजावाला गांव में मजदूरी कर रहे थे। बादल फटने से रिस्पना नदी का जलस्तर बढ़ा और रहरा निवासी पुष्पेंद्र (20), पीतम (22) और पंकज (27) बह गए। पंकज का शव बरामद कर लिया गया है, लेकिन पुष्पेंद्र और पीतम का अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है।
सहस्रधारा क्षेत्र में भी तबाही
इसी बीच सहस्रधारा क्षेत्र में बादल फटने से टॉस नदी का जलस्तर अचानक बढ़ गया और तेज बहाव में ट्रैक्टर-ट्रॉली समेत मजदूर बह गए। इस हादसे में मदन (45), नरेश (48), हरचरन (60), सोमवती (55), रीना (31) और किरन (35) की डूबकर मौत हो गई। सभी शव बरामद कर लिए गए हैं, जबकि राजकुमार (21), होराम (32) और सुंदरी (42) का अब तक कोई पता नहीं चल पाया है।
गांवों में पसरा सन्नाटा, परिजन देहरादून रवाना
हादसे की खबर मिलते ही मुरादाबाद मंडल के मुंडिया जैन और अमरोहा जिले के रहरा गांव में कोहराम मच गया। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी गांव पहुंचकर पीड़ित परिवारों को सांत्वना दे रहे हैं। उधर, मृतक और लापता मजदूरों के परिजन देहरादून रवाना हो गए हैं।
राहत-बचाव कार्य जारी
स्थानीय प्रशासन और एनडीआरएफ की टीमें घटनास्थलों पर राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं। जलस्तर और तेज बहाव के कारण खोज अभियान में दिक्कतें आ रही हैं, लेकिन प्रशासन ने सभी लापता लोगों को जल्द ढूंढ़ निकालने का भरोसा दिया है।
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में मानसून के दौरान बादल फटने की घटनाएं आम हैं, लेकिन इस बार इसका खामियाजा बड़ी संख्या में बाहरी राज्यों के मजदूरों को भुगतना पड़ा। हादसे ने इन गांवों में मातम का माहौल ला दिया है।