दिल्ली सीलिंग मामले में मनोज तिवारी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई बंद कर दी है।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सांसद होते हुए जो तिवारी ने किया वो सही नहीं। भाजपा चाहे तो कार्रवाई कर सकती है। कोर्ट ने कहा कि हमें इस बात का दुख है कि मनोज तिवारी ने अपने हाथ में कानून लिया। इसमें कोई संदेह नहीं कि मनोज तिवारी ने सीलिंग तोडकर कानून हाथ में लिया। एक प्रतिनिधि होने के नाते उन्हें अपने हाथों में कानून लेने के बजाय जिम्मेदारी से काम करना चाहिए था।बता दें कि 17 सितंबर को दिल्ली के गोकुलपुर गाव में मोज तिवारी ने नगर निगम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए एक डेयरी की सील तोड़ दी थी। इस मामले में पूर्वी दिल्ली नगर निगम के वेटरनरी विभाग ने सांसद के खिलाफ गोकुलपुरी थाने में शिकायत दी थी। शिकायत के आधार पर पुलिस ने मनोज तिवारी के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर ली।वेटरनरी विभाग द्वारा दी गई शिकायत में कहा गया है कि गोकलपुर गांव में प्रेम सिंह नामक व्यक्ति की अवैध डेयरी को गत 14 सितंबर को पुलिस की मौजूदगी में सील किया गया था। अखबारों व सोशल मीडिया के माध्यम से पता चला कि डेयरी में लगाई गई सील सांसद मनोज तिवारी द्वारा तोड़ दी गई है।
शिकायत के साथ पेन ड्राइव में सोशल मीडिया पर चल रहे वीडियो फुटेज को भी सुबूत के तौर पर दिया गया है। निगम अधिकारी ने पुलिस से मांग की है कि सील तोड़ने के दोषी लोगों पर कार्रवाई की जाए।