रुद्रपुर: कोतवाली पुलिस ने बालाजी मंदिर के महंत और उनके बेटे के खिलाफ नेपाली मूल के किशोर को अगवा कर बंधुवा मजदूरी कराने का मुकदमा दर्ज कर लिया है। पुलिस ने किशोर को परिजनों के सुपुर्द कर दिया।
पुलिस के मुताबिक शनिवार को भरतपुर, चितवन, नेपाल निवासी रोहन बगाले ने बताया कि उसका 15 साल का छोटा भाई वर्ष, 2018 में वह अचानक घर से चला गया। जिसके बाद वह वृंदावन पहुंचा। बताया कि वहां पर वह एक महंत के संपर्क में आया और वह उसे रुद्रपुर बालाजी मंदिर में ले आए। उसका आरोप है कि उसके साथ मंदिर के महंत रमेश वशिष्ठ के साथ ही उनके पुत्र अभिषेक वशिष्ठ आए दिन पिटाई करते थे। समय पर खाना भी नहीं दिया जाता था। कई बार भूखा भी रखते थे। मंदिर का सारा काम करवाने के साथ ही गौशाला का काम भी करवाते थे। काम न करने पर सरिया व कील लगी लकड़ी से पिटते थे। एक बार पिटाई से चोट लगने के बाद उसे क्लीनिक भी ले गए। घर जाने की बात कहने पर उससे गालीगलौज और पिटाई करते हुए डराया धमकाया जाता था।
किशोर के भाई ने पुलिस से धार्मिक स्थल के महंत और उसके पुत्र के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। जिस पर पुलिस, बचपन बचाओ आंदोलन और चाइल्ड लाइन की टीम ने किशोर का रेस्क्यू कर जिला बाल कल्याण समिति को सुपुर्द किया। जहां काउसंलिंग के बाद जिला बाल कलयाण समिति ने पुलिस से बाल हित का उल्लंघन के मामले में जांच कर कानूनी कार्रवाई के लिए पुलिस को निर्देश दिए हैं।
रविवार को पुलिस ने किशोर के उत्पीड़न करने के आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। कोतवाल विक्रम राठौर ने बताया कि मामला दर्ज करने के बाद किशोर को वहां की पुलिस की मौजूदगी में परिजनों के सुपुर्द कर दिया। विवेचना की जा रही है। महंत ने आरोपों बताया निराधार रुद्रपुर। बालाजी मंदिर के महंत ने उन पर व बेटे पर लगाये गये आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि उन्हें बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा। बालक अपनी मर्जी से आया।