BSF जवान ने तीन दिन की हिरासत में झेली मानसिक प्रताड़ना, आंखों पर पट्टी बांधकर पूछताछ

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सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान पूर्णम शॉ, जिन्हें 23 अप्रैल को ड्यूटी के दौरान गलती से पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश करने के बाद पाकिस्तानी रेंजर्स ने गिरफ्तार कर लिया था, आखिरकार भारत लौट आए हैं। हालांकि, पाकिस्तान में बिताए गए तीन दिनों में उन्होंने जो मानसिक प्रताड़ना और अपमान झेला, उसकी जानकारी सामने आई है।

आंखों पर पट्टी बांधकर पूछताछ, सोने तक नहीं दिया गया

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में हिरासत के दौरान पूर्णम शॉ की आंखों पर लगातार पट्टी बांधकर उन्हें तीन अज्ञात स्थानों पर ले जाया गया। एक जगह एयरबेस के पास थी, जहां से वे लड़ाकू विमानों की आवाजें सुन सकते थे। एक बार उन्हें जेल की कोठरी में भी रखा गया।

हालांकि उन्हें शारीरिक यातना नहीं दी गई, लेकिन पाकिस्तानियों ने गालियां दीं, सोने नहीं दिया और दांत तक ब्रश करने नहीं दिया। पूरी हिरासत अवधि में शॉ पर मानसिक दबाव बनाया गया।

पाकिस्तानी अधिकारी सिविल ड्रेस में कर रहे थे पूछताछ

शॉ से पूछताछ करने वाले पाकिस्तानी अधिकारी सेना की वर्दी में नहीं, बल्कि सिविल ड्रेस में थे। उनसे BSF की तैनाती, अंतरराष्ट्रीय सीमा पर मौजूद सीनियर ऑफिसर्स की जानकारी, और संपर्क नंबर मांगे गए। लेकिन BSF के प्रोटोकॉल के तहत ड्यूटी पर मोबाइल फोन साथ न रखने के नियम के चलते वे कोई नंबर नहीं बता सके।

भारत वापसी के बाद मेडिकल और सुरक्षा जांच

अटारी-वाघा बॉर्डर पर उन्हें भारतीय अधिकारियों को सौंपे जाने के बाद शॉ को परिवार से बात करने की इजाजत दी गई। भारत लौटने के बाद उनसे औपचारिक पूछताछ की गई और मेडिकल जांच भी हुई। डॉक्टरों ने उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति को स्थिर बताया। प्रोटोकॉल के तहत पाकिस्तान में पहने गए कपड़ों की जांच की गई और उन्हें हटाया गया।

किसान गार्ड का हिस्सा हैं पूर्णम शॉ

पूर्णम शॉ पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के रहने वाले हैं और BSF की 24वीं बटालियन में कार्यरत हैं। वे “किसान गार्ड” का हिस्सा हैं, जो सीमा पर किसानों की सुरक्षा के लिए तैनात रहते हैं।
पूर्णम शॉ की यह घटना सीमा पर तैनात जवानों की सतर्कता और संघर्ष की सच्चाई को उजागर करती है। बिना शारीरिक यातना के भी पाकिस्तान ने उन्हें मानसिक रूप से तोड़ने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने BSF की नीतियों और भारत के सम्मान की रक्षा की।