अमीर बनने के चक्कर में फंसा बेकरी कर्मी, सवा करोड़ के साइबर ठगी कांड का हुआ पर्दाफाश

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हल्द्वानी (बनभूलपुरा) जल्दी अमीर बनने का सपना एक बेकरी में काम करने वाले युवक को सवा करोड़ की साइबर ठगी के जाल में ऐसा फंसा गया कि उसे खुद नहीं पता चला कि वह एक बड़े अंतरराज्यीय साइबर क्राइम रैकेट का मोहरा बन चुका है। पुलिस की जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं, जिनमें पूर्व छात्र संघ पदाधिकारी करन अरोड़ा, उसका दुबई में रहने वाला भाई, और हल्द्वानी के कई युवक शामिल पाए गए हैं।

क्रिप्टो करेंसी के नाम पर जाल बिछाया गया

बनभूलपुरा के आजादनगर स्थित 17 एमएस बेकरी में काम करने वाले रमेश चंद्र को उसके पुराने दोस्त साजिद ने क्रिप्टो करेंसी में मुनाफे का सपना दिखाया। इसके लिए रमेश के नाम से आरसी इंटरप्राइजेज के नाम से करंट अकाउंट खुलवाया गया। साजिद और उसके साथी अनस मलिक ने यह खाता अपने नियंत्रण में ले लिया। सिर्फ 8 से 10 दिनों में खाते में ₹1.20 करोड़ से ज्यादा की रकम जमा हो गई जो अलग-अलग खातों से आई थी।

नोएडा पुलिस की तफ्तीश से खुला राज़

नोएडा पुलिस इस नेटवर्क पर पहले से नजर रखे हुए थी। खाते में लाखों की ट्रांजैक्शन की जानकारी जब सामने आई, तो बनभूलपुरा पहुंची नोएडा पुलिस ने रमेश को तलब किया। पुलिस पूछताछ में रमेश ने साजिद, अनस, हस्सान, मोहम्मद कैफ, रमीश, करन अरोड़ा, नितिन अटवाल और अन्य लोगों के नाम बताए।

जांच में सामने आया कि पूरे नेटवर्क का मास्टरमाइंड करन अरोड़ा, हल्द्वानी के एक कॉलेज का पूर्व छात्रसंघ उपसचिव है। उसका भाई दुबई से पूरी ठगी का संचालन कर रहा है। पैसे रमेश के खाते से निकालकर करन और उसके सहयोगियों को दिए जाते थे, और बदले में मोटा कमीशन बंटता था।

जब रमेश को महसूस हुआ कि वह बुरी तरह फंस गया है, तो वह साजिद और अनस के पास गया, जहां उसे दिलासा दिया गया कि चिंता मत करो, पुलिस को पैसे देकर मामला सेट कर देंगे। लेकिन जब मामला नोएडा पुलिस और साइबर क्राइम तक पहुंचा, तो कोई बचाव नहीं हो सका।

12 लोगों पर मुकदमा दर्ज, साइबर क्राइम की गहराई से जांच

बनभूलपुरा थानाध्यक्ष नीरज भाकुनी ने बताया कि रमेश की शिकायत और जांच के आधार पर बीएनएस की धारा 318(4) व 61(4) के तहत 12 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। वहीं, एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा ने पुष्टि की कि यह मामला साइबर ठगी से जुड़ा है और जांच जारी है कि किन-किन खातों में यह पैसा गया और किस प्रकार से कमाया गया।

अमीर बनने की जल्दबाज़ी में आंख मूंदकर किसी पर भरोसा करना भारी पड़ सकता है। यह मामला एक चेतावनी है कि साइबर अपराधी किस तरह आम लोगों का इस्तेमाल कर रहे हैं और खुद विदेशों से करोड़ों का खेल खेल रहे हैं।