भौगोलिक सूचना तंत्र पर आधारित ऑटोमेटिक जलापूर्ति प्रणाली का शुभारंभ

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रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में रक्षा सम्पदा दिवस 2021 के अवसर पर छावनी बोर्डों के निवासियों के लिये भौगोलिक सूचना तंत्र (जीआईएस) आधारित ऑटोमेटिक जलापूर्ति प्रणाली का शुभारंभ किया था। छावनी बोर्डों के लिये जीआईएस आधारित जलापूर्ति प्रणाली का मॉड्यूल रक्षा सचिव और रक्षा सम्पदा, दिल्ली के महानिदेशक के मार्गगर्शन में भास्कराचार्य इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस एप्लीकेशंस एंड जियो इंफॉर्मेटिक्स (बीआईएसएजी) ने विकसित किया है।

छावनी के रिहाइशियों को पानी का कनेक्शन प्रदान करने के लिये यह एक आसान और तेज प्रणाली है। यह पूरी तरह से ऑटोमेटिक है, जोः-

  1. पानी के कनेक्शन के लिये स्थान को चिह्नित करने में अपने नागरिको को सुविधा प्रदान करती है।
  2. यह ऑटोमेटिक तरीके से सबसे नजदीक स्थित पानी की पाइपलाइन तय करती है।
  3. जलापूर्ति की सभी लाइनों की क्षमता भी निर्धारित करती है।
  4. स्थान को ध्यान में रखकर यह दूरी का हिसाब लगाती है और,
  5. कनेक्शन शुल्क सहित आवेदनकर्ता द्वारा देय राशि के ऑनलाइन भुगतान की सुविधा देती है।

मॉड्यूल के तहत पानी के कनेक्शन के लिये ऑनलाइन सुविधा मिलती है। प्रणाली में एक बार कनेक्शन मंजूर हो जाने पर, छावनी बोर्ड में सम्बंधित विभाग यह सुनिश्चित करता है कि तय समय-सीमा में पानी का कनेक्शन प्रदान कर दिया जाये। यह प्रणाली उपयोगकर्ताओं के लिये अत्यंत सुविधाजनक, कारगर और पारदर्शी है। जीआईएस प्रणाली देश में अपने तरह की पहली प्रणाली है। यह “मिनिमम गवर्नमेंट” पर आधारित है और “मैक्सिमम गवर्नेन्स” की अवधारणा का समर्थन करती है, क्योंकि इसमें पानी के कनेक्शन की मंजूरी/अनुमोदन के लिये दफ्तरी दखलंदाजी की जरूरत नहीं पड़ती।

पारंपरिक जलापूर्ति प्रणाली में निवासियों को स्थानीय निकायों में आवेदन करना पड़ता है और आवेदन की प्रक्रिया में समय लगता है। इसका शुल्क भी दफ्तर जाकर जमा करना पड़ता है और पानी का कनेक्शन कब तक मिलेगा, इसकी कोई अवधि निर्धारित नहीं होती। बीआईएसएजी ने जीआईएस मॉड्यूल को सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया है और ई-छावनी पोर्टल के साथ उसे जोड़ने का काम भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) ने किया है। उल्लेखनीय है कि रक्षा सम्पदा दिवस 16 दिसंबर, 2021 को रक्षा सम्पदा के महानिदेशक द्वारा मनाया गया था।