नई दिल्ली– आज राज्यसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने के लिए प्रस्ताव पेश किया जिसमें बीएसपी सहित कई पार्टियों ने सहयोग दिया, तो वहीं कुछ पार्टियां ने इसका खुलकर विरोध किया। पक्ष-विपक्ष में चली लंबी बहस के बाद जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने की घोषणा की गई। इस घोषणा के बाद जम्मू-कश्मीर को अब एक संघ शासित प्रदेश का दर्जा दिया जाएगा।
लद्दाख को भी एक अलग राज्य का दर्जा
जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को खत्म करने के साथ-साथ लद्दाख को कश्मीर से अलग करने की भी घोषणा की गई। अब लद्दाख को एक अलग केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया जाएगा।
धारा 370 का इतिहास
15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों के चंगुल से भारत को आजादी मिली पर साथ ही इसका बंटवारा भी हो गया, बंटवारा- भारत और पाकिस्तान का। इस बंटवारे में प्रिंसली स्टेट्स को भारत या पाकिस्तान दोनों में से किसी भी देश में विलय करने या फिर स्वतंत्र रहने का अधिकार प्राप्त हुआ जिसमें कुछ प्रिंसली स्टेट्स ने तो भारत के साथ विलय पर सहमति जताई पर कुछ ने स्वतंत्र रहना ही सही समझा जिसमें जम्मू-कश्मीर भी शामिल था लेकिन 20 अक्टूबर, 1947 को पाकिस्तान की मदद से कबायलियों की ‘आजाद कश्मीर सेना’ ने जम्मू-कश्मीर पर हमला कर दिया।
हमले से हालात को बिगड़ते देखकर जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने भारत से मदद मांगी। उस समय देश के प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू थे जिन्होंने महाराजा हरि सिंह के सामने अपने राज्य को भारत के साथ विलय करने की शर्त रखी।
आजाद कश्मीर सेना से बचाव के लिए भारत की मदद पाने के लिए महाराजा हरि सिंह ने 26 अक्टूबर 1947 को ‘इंस्ट्रूमेंट्स ऑफ ऐक्सेशन ऑफ जम्मू ऐंड कश्मीर टु इंडिया’ पर सहमति जताई।
बता दें कि इंस्ट्रूमेंट्स ऑफ ऐक्सेशन ऑफ जम्मू ऐंड कश्मीर टु इंडिया’ की शर्तों के अनुसार सिर्फ विदेश, संचार मामलों और रक्षा से जुड़े मामलों में ही जम्मू-कश्मीर में भारतीय कानून लागू किया जाएगा। साथ ही धारा 370 में भारत के साथ जम्मू-कश्मीर के कैसे संबंध होंगे इसका भी उल्लेख किया गया है।