
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर अमेरिका गहराई से चिंतित है और उसने स्पष्ट किया है कि वह क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए कूटनीतिक प्रयासों को प्राथमिकता देगा। अमेरिकी नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि वह किसी भी सैन्य हस्तक्षेप से दूर रहेगा, लेकिन परमाणु युद्ध की आशंका को पूरी तरह नकारा नहीं जा सकता।
उपराष्ट्रपति की अपील “संयम बरतें दोनों देश”
अमेरिका की उपराष्ट्रपति ने बयान जारी करते हुए कहा, “अमेरिका भारत या पाकिस्तान से हथियार डालने की मांग नहीं करेगा, लेकिन हमारा उद्देश्य दोनों देशों को तनाव कम करने के लिए प्रेरित करना है। इस समय संवाद ही सबसे कारगर रास्ता है।” उन्होंने कहा कि अमेरिका की भूमिका सिर्फ कूटनीतिक समर्थन तक सीमित रहेगी।
अमेरिकी विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार लगातार भारत और पाकिस्तान के शीर्ष नेताओं से संवाद में हैं। व्हाइट हाउस की ओर से दोनों पक्षों से संयम बरतने और स्थिति को सामान्य बनाने की अपील की गई है। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि भारत-पाकिस्तान के बीच ऐतिहासिक मतभेद हैं, लेकिन युद्ध किसी भी स्थिति में समाधान नहीं हो सकता।
अमेरिका ने चेताया है कि यदि यह तनाव और बढ़ता है, तो पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता खतरे में पड़ सकती है। ऐसे में ट्रंप प्रशासन चाहता है कि भारत और पाकिस्तान बातचीत की मेज़ पर लौटें और किसी भी टकराव से बचें। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा, “हम हरसंभव प्रयास कर रहे हैं कि हालात बिगड़ने से पहले ही संभल जाएं।”
भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता बढ़ा दी है। अमेरिका की स्थिति स्पष्ट है वह युद्ध नहीं, संवाद चाहता है। अब जिम्मेदारी दोनों देशों पर है कि वे संयम बरतें और क्षेत्रीय स्थिरता को बनाकर रखें।