कोरोना के बढ़ते खतरे को देखते हुए दिल्ली की सभी अदालतें चार अप्रैल तक के लिए बंद कर दी गई हैं। साथ ही दिल्ली हाई कोर्ट को भी चार अप्रैल तक के लिए बंद कर दिया गया है। सोमवार को हाई कोर्ट में बैठक के बाद ये फैसला किया गया। मिली जानकारी के अनुसार, आपात मामलों की सुनवाई के लिए हाई कोर्ट में एक रजिस्ट्रार होगा, जिसका नम्बर जारी किया जाएगा और सभी निचली कोर्ट में प्रशासनिक अधिकारी नियुक्त होगा। इनके पास एडवोकेट को बताना होगा कि ऐसा क्या आपात मामला है कि सुनवाई टल नहीं सकती।
इसके बाद सुनवाई मेरिट के आधार पर होगी।रजिस्ट्रार को जब लगेगा केस को तुरंत सुना जाना चाहिए तब किसी केस की सुनवाई हो सकती है अन्यथा चार अप्रैल तक कोई भी केस की सुनवाई नहीं होगी। आपात स्थिति में किसी भी नए केस की सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए की जा सकती है अन्यथा सभी नए और पुराने केस चार अप्रैल तक नहीं सुने जाएंगे। वही दूसरी ओर दिल्ली में लॉकडाउन लागू किया गया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा 31 मार्च तक दिल्ली को लॉकडाउन करने की घोषणा के बाद अब आवश्यक वस्तुओं की दुकानों को छोड़कर अधिकांश बाजार बंद रहेंगे।
कोरोना वायरस के संक्रमण ने दिल्ली एनसीआर के साथ ही मेट्रो की रफ्तार भी थाम दी है। रविवार को जहां जनता कर्फ्यू के कारण 17 सालों में पहली बार दिल्ली मेट्रो का परिचालन पूरी तरह बंद रहा। वहीं कोरोना के संक्रमण की रोकथाम के लिए दिल्ली को लॉकडाउन करने की घोषणा के साथ ही 31 मार्च तक मेट्रो का परिचालन बंद रहेगा । दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) का कहना है कि कोरोना का संक्रमण रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है। मेट्रो का परिचालन बंद रहने के दौरान रखरखाव से संबंधित कार्य होते रहेंगे।
इसके अलावा मेट्रो की सुरक्षा के लिए सीआइएसएफ के जवान भी ड्यूटी पर तैनात रहेंगे। मेट्रो में प्रतिदिन 30-35 लाख लोग सफर करते हैं। इस वजह से मेट्रो में कोरोना का संक्रमण होने का खतरा सबसे अधिक था। पहले सोमवार को सुबह 10 से 4 बजे व रात आठ बजे के बाद परिचालन बंद रखने का फैसला किया गया था, लेकिन अब सरकार के निर्देश पर फैसले में बदलाव कर दिया गया है। इसलिए अब अगले नौ दिन तक दिल्ली की लाइफ लाइन कही जाने वाली मेट्रो रफ्तार नहीं भर पाएगी।
भरत पांडेय