छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को राजनीति का माहिर खिलाड़ी कहा जाता है। शायद वह देश के इकलौते ऐसे नेता हैं जो आइपीएस और बाद मेें आइएएस रहते हुए नौकरशाही को नजदीक से देखा-समझा है। इसका लाभ उन्हें उनकी राजनीतिक पारी में मिला। मध्यप्रदेश में इंदौर कलेक्टर रहने के दौरान उनकी बहुमुखी प्रतिभा पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी ने देखी थी और उन्हें राज्यसभा भिजवाया।
इसके बाद जोगी राजनीति के फलक पर छाते चले गए। जोगी अपना राजनीतिक गुरु मध्य प्रदेश की राजनीति के चाणक्य रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन सिंह को मानते हैं। आमतौर पर हमेशा कार्यकर्ताओं, नेताओं से घिरे रहने वाले जोगी को अब कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन में एकांत मिला है
तो उनके भीतर का लेखक भी जाग गया है। जोगी इस समय का उपयोग अपनी आत्मकथा लिखने में कर रहे हैं। जाहिर है कि ये किताब जब तैयार होकर आएगी तो राजनीति के कई रोचक अनछुए पहलू भी उजागर करेगी। इस बात पर जोगी मुस्कराकर बस इतना ही संकेत देते हैं कि राजनीति की लंबी पारी में बहुत कुछ नजदीक से देखा है। उतार-चढ़ाव और दांवपेंच की कहानियां भी देखी-सुनी हैं।