गरुड़ पुराण के अनुसार ये 5 काम करने से हमेशा खुशहाल रहेगा परिवार, सात पीढ़ियों तक बरसेगी कृपा

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हिंदू धर्म में गरुड़ पुराण का विशेष महत्व है। आमतौर पर इसे किसी की मृत्यु के बाद पढ़ा जाता है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि यह ग्रंथ सिर्फ मृत्यु के रहस्यों की जानकारी नहीं देता, बल्कि जीवन जीने की सही दिशा और धर्म का सार भी समझाता है। गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु के माध्यम से कई ऐसी धार्मिक, सामाजिक और व्यावहारिक बातें बताई गई हैं, जिन्हें अपनाने से जीवन सुखमय बन सकता है।

विशेष रूप से गरुड़ पुराण में 5 ऐसे कार्यों का उल्लेख किया गया है, जिनका पालन करने से न केवल व्यक्ति का जीवन सफल होता है, बल्कि उसके वंश की सात पीढ़ियां तक धन-धान्य और शांति का अनुभव करती हैं।

  1. कुलदेवता की पूजा, पीढ़ियों की रक्षा का कवच
    आज के समय में कई लोग अपने कुलदेवता के बारे में अनभिज्ञ हैं। जबकि गरुड़ पुराण में स्पष्ट बताया गया है कि हर कुल (वंश) का एक संरक्षक देवता होता है, जिसे ‘कुलदेवता’ कहा जाता है। इनकी पूजा विशेष तिथियों पर, पारिवारिक उत्सवों में या संकट के समय करनी चाहिए। जो व्यक्ति नियमित रूप से अपने कुलदेवता की पूजा करता है, उसकी केवल यह नहीं बल्कि उसकी आने वाली सात पीढ़ियां भी सुख और समृद्धि से भर जाती हैं।
  2. भगवान को भोजन का भोग, बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा
    गरुड़ पुराण के अनुसार, जिस घर में बिना चखे भगवान को भोजन अर्पित किया जाता है, उस घर में अन्नपूर्णा और लक्ष्मी माता की विशेष कृपा बनी रहती है। घर की रसोई का शुद्ध और सात्विक रहना अत्यंत आवश्यक है। साथ ही यह भी कहा गया है कि रसोई में बासी भोजन या जूठा अन्न नहीं रखना चाहिए, इससे नकारात्मक ऊर्जा फैलती है। ऐसे घरों में कभी अन्न और धन की कमी नहीं होती, जहाँ ईश्वर को प्रेमपूर्वक भोग लगाया जाता है।
  3. अन्नदान सबसे बड़ा पुण्य
    हिंदू धर्म में अन्नदान को महादान कहा गया है। गरुड़ पुराण में भी इस बात को प्रमुखता से बताया गया है कि जो व्यक्ति भूखे को भोजन कराता है, उसे अमूल्य पुण्य की प्राप्ति होती है। यह पुण्य केवल दान देने वाले तक सीमित नहीं रहता, बल्कि उसके परिवार और वंशजों पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ता है। सात पीढ़ियों तक इस पुण्य का फल मिलता है।
  4. शास्त्रों का अध्ययन और वाचन
    गरुड़ पुराण कहता है कि धार्मिक ग्रंथों और शास्त्रों का वाचन सिर्फ पंडितों का काम नहीं, बल्कि हर मनुष्य का कर्तव्य है। व्यावहारिक शिक्षा के साथ-साथ अगर व्यक्ति धर्म, नीति, सत्य और जीवन के उद्देश्य को समझना चाहता है, तो उसे वेद, पुराण और धर्मशास्त्रों का नियमित वाचन और चिंतन करना चाहिए। ये ग्रंथ आत्मा के मार्गदर्शक होते हैं, जो जीवन को दिशा और संतुलन प्रदान करते हैं।
  5. चिंतन, ध्यान और आत्ममंथन
    गरुड़ पुराण के अनुसार, व्यक्ति को रोज़ाना कुछ समय तप, ध्यान और आत्म-चिंतन के लिए निकालना चाहिए। इससे उसका मन शांत होता है और वह क्रोध, लालच, ईर्ष्या जैसे दोषों से बच पाता है। चिंतन आत्मा की सफाई का माध्यम है। यह आपको नकारात्मकता से बाहर निकालकर भीतर की शांति और स्थिरता प्रदान करता है।

गरुड़ पुराण को केवल मृत्यु के बाद पढ़ने की परंपरा ने इस ग्रंथ के जीवनदायी पक्ष को ढंक दिया है। जबकि इसमें ऐसे अमूल्य सिद्धांत और सुझाव दिए गए हैं, जो व्यक्ति को एक सच्चा, शांत और समृद्ध जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं।

जो लोग इन 5 बातों को अपने जीवन में उतारते हैं, वे न केवल स्वयं सुखी रहते हैं, बल्कि अपने परिवार और आने वाली पीढ़ियों को भी एक शुभ भविष्य प्रदान करते हैं।