धराली त्रासदी के 51 दिन बाद सरकार ने लापता लोगों का डेथ सर्टिफिकेट जारी करने का आदेश दिया

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उत्तराखंड में इस साल मौसम ने जबरदस्त कहर बरपाया है। कई जगहों पर बादल फटने से भारी तबाही देखने को मिली। ऐसा ही भयावह मंजर 5 अगस्त को उत्तरकाशी के धराली गांव में देखने को मिला था, जब बादल फटने से पूरा गांव मलबे में दब गया। इस हादसे में कई लोगों की मौत हुई थी और दर्जनों लापता हो गए थे।

धराली हादसे के 51 दिन बाद सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए लापता लोगों का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश दिया है। यह फैसला केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद लिया गया है।

67 लापता लोगों के लिए जारी होंगे प्रमाण पत्र

इस हादसे में 67 लोग लापता हुए थे, जिन्हें प्रशासन ने लगातार खोजने की कोशिश की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। अब गृह मंत्रालय की मंजूरी के बाद इन सभी का मृत्यु पंजीकरण किया जाएगा। इससे पीड़ित परिवारों को राहत राशि देने का रास्ता भी साफ हो गया है।

केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद बढ़ी प्रक्रिया

हादसे के बाद प्रदेश सरकार ने गृह मंत्रालय को लापता लोगों का मृत्यु पंजीकरण करने का प्रस्ताव भेजा था। महारजिस्ट्रार गृह मंत्रालय ने इस पर सहमति दे दी। यह प्रक्रिया 2021 की तर्ज पर की जा रही है, जब चमोली जिले के रैणी में भी ऐसा ही हादसा हुआ था।

मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया

सरकार ने स्पष्ट किया है कि डेथ सर्टिफिकेट जारी करने की प्रक्रिया लंबी होगी। सबसे पहले लापता व्यक्ति की शिकायत दर्ज करनी होगी। इसके बाद 30 दिन का नोटिस जारी किया जाएगा। यदि इस अवधि में कोई आपत्ति दर्ज नहीं होती तो मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाएगा।

कैसे हुआ था हादसा

5 अगस्त को दोपहर 1:45 बजे धराली में बादल फटने से खीर गंगा नदी में अचानक बाढ़ आ गई थी। 34 सेकेंड के भीतर पूरा गांव मलबे में समा गया। सड़कें टूट गईं और भारी मलबा गांव में भर गया। हादसा इतना अचानक हुआ कि लोगों को संभलने तक का मौका नहीं मिला।

धराली हादसे के बाद से ही सरकार और प्रशासन रेस्क्यू व पुनर्वास की प्रक्रिया में जुटे हुए हैं। अब केंद्र की मंजूरी के बाद पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने की प्रक्रिया भी तेज होगी।