हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मेले के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि मानव सभ्यता और संस्कृति के विकास में हस्तशिल्प और हथकरघा का महत्वपूर्ण योगदान है। शिल्प व हथकरघा मेले शिल्पकारों को अपनी पसंद व कला के आदान-प्रदान का अवसर प्रदान करते हैं। इस उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुण्ड हस्तशिल्प मेला पिछले 35 सालों से ऐसे ही शिल्पकार, हथकरघा कारीगरों को एक उचित मंच प्रदान कर रहा है।
उन्होंने कहा कि हर वर्ष इस मेले का आयोजन एक ‘ थीम स्टेट ‘ और एक सहभागी देश के साथ किया जाता है। इस वर्ष मेले का ‘थीम स्टेट’ केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर और सहभागी देश उज्बेकिस्तान है।
उन्होंने कहा कि मानव सभ्यता और संस्कृति के विकास में हस्तशिल्प और हथकरघा का महत्वपूर्ण योगदान है। विश्व की सभी प्राचीन सभ्यताओं का इतिहास हस्तशिल्प और हथकरघा के इतिहास को भी दर्शाता है। इन कलाओं को आधुनिक युग में भी उतना ही पसंद किया जाता है , जितना प्राचीन काल में किया जाता था । अतः शिल्प , हथकरघा व ऐसे ही मेले शिल्पकारों को अपनी पसंद व कला के आदान – प्रदान का अवसर प्रदान करते हैं ।
हरियाणा हार्ट-टू-हार्ट कनेक्ट में विश्वास करता है
हरियाणा और उज्बेकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए मुख्यमंत्री ने उज्बेकिस्तान गणराज्य के राजदूत दिलशाद अखातोव को आश्वासन देते हुए कहा कि हरियाणा बिजनेस टू बिजनेस या गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट रिलेशनशिप तक सीमित नहीं हैं, बल्कि हरियाणा हार्ट-टू-हार्ट कनेक्ट में विश्वास करता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन न केवल एक शुभ अवसर है बल्कि एक सांस्कृतिक अवसर भी है क्योंकि यह मेला वास्तव में इस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में आयोजित भारत की सांस्कृतिक विरासत की समृद्धि और विविधता के लिए एक श्रद्धांजलि है। दुनियाभर के शिल्पकार, कारीगर इस मेले में भाग लेने का बेसब्री से इंतजार करते हैं।
सूरजकुंड मेला परंपरा ,विरासत और संस्कृति की त्रिवेणी
मनोहर लाल ने कहा कि सूरजकुण्ड अन्तर्राष्ट्रीय शिल्प मेला हमारे देश की विविधता में एकता की कड़ियों को मजबूत करने के साथ – साथ ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की अवधारणा को भी आगे बढ़ाता है। पिछले कई वर्षों से अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड मेले तथा अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव के माध्यम से हरियाणा की माटी की सौंधी महक विदेशों तक पहुंची है ।
उन्होंने कहा कि आज हम जो विकसित हरियाणा देख रहे हैं, इसका इतिहास भी बड़ा ही वैभवशाली और गौरवशाली रहा है। इस वैदिक भूमि को भारतीय संस्कृति और सभ्यता का ‘ पालना’ कहा जाता है। यहीं सरस्वती के पावन तट पर वेदों और उपनिषदों की रचना हुई। धर्मक्षेत्र – कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के रूप में कर्मयोग का दिव्य संदेश दिया।
इस मेले में दूसरी बार शामिल होना गौरव की बात- उज्बेकिस्तान के राजदूत उज्बेकिस्तान के राजदूत
दिलशाद अखातोव ने अपने संबोधन में कहा कि मेरे लिए गर्व की बात है कि सुरजकुंड मेले के उद्घाटन समारोह में शामिल होने का अवसर मिला है। उज्बेकिस्तान के लिए एक बहुत बड़ी खुशी की बात है क्योंकि हम लगातार दूसरी बार इस मेले में भागीदार राष्ट्र के रूप में भाग ले रहे हैं। हम अपने सांस्कृतिक, पारंपरिक और आर्थिक संबंधों को और मजबूत करने के लिए हमें इस मेले में आमंत्रित करने के लिए भारत सरकार और विशेष रूप से हरियाणा का आभार व्यक्त करता हूं।
उन्होंने 21 से 25 मई, 2022 तक बुखारा में आयोजित होने वाले स्वर्ण और कढ़ाई और आभूषण महोत्सव में भाग लेने के लिए हरियाणा तथा भारत के कारीगरों और शिल्पकारों को आमंत्रित किया। इसके अलावा, हरियाणा के साथ जी 2 जी और बी 2 बी संबंधों को विकसित करने के लिए समर्पित प्रयास किए जा रहे हैं।
इस अवसर पर विधायक सीमा त्रिखा, नरेंद्र गुप्ता, राजेश नागर, घनश्याम दास और नयन पाल रावत, मुख्य सचिव संजीव कौशल, सचिव, पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकारअरविंद सिंह, पर्यटन विभाग के प्रधान सचिव एमडी सिन्हा भी मौजूद रहे।