एजेंसी:-दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस सी. हरि शंकर ने ये कहा है कि याचिका इस तरह से तैयार की जानी चाहिए कि किसी को यह समझने के लिए अपनी परिकल्पना पर जोर नहीं देना पड़े कि याचिकाकर्ता कहना क्या चाहता है?
याचिका में बड़े पैमाने पर व्याकरण या वाक्य विन्यास सही नहीं होने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी को जाहिर की है। इसे गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने ये कहा है कि ऐसे मामले, में जिनमें मुवक्किलों का प्रतिनिधित्व वकील ही करते हैं, उन मामलों में भी वकील के लिए यह सुनिश्चित करना बाध्यकारी है कि पेश याचिका/अर्जी में तथ्य ऐसे हों जो की समझने में बहुत आसान हों।
जस्टिस सी. हरि शंकर ने ये कहा कि याचिका इस तरह से तैयार की जानी चाहिए कि किसी को यह समझने के लिए अपनी परिकल्पना पर जोर नहीं देना पड़े कि याचिकाकर्ता कहना क्या चाहता है?