मांस क्यों खाते हो❓, 2 मिनट समय निकालकर अंत तक अवश्य पढ़े..

1

(1.) ताकत के लिए — पर धरती का सबसे ताकतवर जानवर हाथी शाकाहारी होता है। वो ताकत के लिए कभी मांस नहीं खाता! किसानों के साथ मेहनत करने वाला बैल क्या कभी मांस खाता है? हॉर्सपावर का इस्तेमाल किसी भी मशीन की शक्ति मापने के लिए किया जाता है। क्या घोड़ा-घोड़ा कभी मांस खाता है? फिर ये कैसे कहा जा सकता है कि मांस खाने से ताकत मिलती है?

(2.) जीभ के स्वाद के लिए –मांस में कैसा स्वाद होता है। सारा स्वाद उसमें पड़े बहुउपयोगी मसालों के कारण होता है। अगर वही मसाले इस्तेमाल किए जाएं तो बैंगन और आलू की सब्जी में भी वही स्वाद आएगा!

(3.) विटामिन के लिए — हरी पत्तेदार सब्जियों और सूखे मेवों में मांस से कहीं ज्यादा प्रोटीन, विटामिन और पोषक तत्व होते हैं….है ना? तो फिर मांस क्यों खाएं? असल में प्रकृति ने न तो हमारे दांतों को मांस चबाने के लिए बनाया है
और न ही हमारी आंतों को मांस पचाने के लिए। मानव शरीर मूलतः शाकाहार के लिए बनाया गया है। यदि ऐसा न होता तो डॉक्टर छोटे बच्चे को चावल की खिचड़ी की जगह मांस के टुकड़े चबाने को कहता। इसका मतलब यह हुआ कि मनुष्य स्वाभाविक मांसाहारी नहीं है!

फिर हमें जीभ से खून क्यों चाटना पड़ता है? चिकित्सा कहती है कि मांस खाने से पाचन क्रिया खराब होती है। मानसिक रोग होता है, जिससे अनेक रोग हो सकते हैं।

अध्यात्म कहता है कि मांस खाने से मनुष्य में काम, क्रोध, मद, ईर्ष्या आदि दुर्गुण प्रबल होते हैं। तथा राक्षसी प्रवृत्तियाँ बढ़ती हैं। कहा जाता है कि मनुष्य बंदरों से विकसित हुआ है। बंदर आज भी शाकाहारी हैं। विकास की यात्रा में बंदरों से मनुष्य तक कौन जानता है कि मनुष्य पशु कैसे बन गया?

लेकिन मनुष्य का पेट पशुओं का कब्रिस्तान नहीं है. लेकिन मनुष्य को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए! शुद्ध आहार शाकाहार प्रकृति की रचना है.

जो पशु होठों से पानी पीता है, वह शाकाहारी होना चाहिए और जो पशु जीभ से पानी पीता है, वह माँसाहारी होना चाहिए। क़ुदरत का इशारा होंठों से पानी पीने वाले पशु जैसे गाय भैंस हिरन बकरी सब शाकाहारी हैं, जीभ से पानी पीने वाले जैसे कुत्ता शेर बिल्ली आदि सब माँसाहारी हैं, मनुष्य भी होंठों से पानी पीता है फिर भी बहुत से माँसाहारी ?
शाकाहारी बनो! शरीर, मन और विचारों की पवित्रता बढ़ाओ।