चिरचिटा (ACHYRANTHES ASPERA) का पौधा भारत के हर सूखे क्षेत्र में होता है.ये आमतौर पर खेतों के आसपास उगे घास के बीच में होता है. अंग्रेजी में इसे chaff tree कहते हैं, इसे अपामार्ग के नाम से भी जानते हैं. आयुर्वेद में इसे बुखार, शरीर का दर्द, बवासिर (piles), गुर्दे की पथरी (Kidney stone), skin rashes के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है.
1. बुखार में- चिरचिटा और नीम की पत्तियों से तैयार काढ़े का नियमित सेवन करने से बुखार भगाया जा सकता है
2. शरीर के दर्द में – इसकी जड़ का काढ़ा बना कर लगातार 7 दिन तक इसे दो वक्त पीने से शरीर के दर्द में आराम मिलेगा
3. बवासिर में राहत- चिरचिटा के पत्ते या फूल का काढ़ा पीना बवासिर में आरामदायक साबित हो सकता है.
4. गुर्दे की पथरी- चिरचिटा को गुर्दे की पथरी के इलाज में भी मददगार माना गया है..
5. स्किन रैशेश- कील-मुहांसे और स्किन रैशेश को दूर करने के लिए भी इसे असरदार बताया गया है..
उम्मीद है आपको औषधिय चिरचिटा से जुड़ी ये जानकारी पसंद आई होगी…इसलिए और भी ऐसे हेल्दी जानकारियों के लिए देखते रहें…
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