मिलिए इन टीचर्स से… जो गरीब मासूमों की पढ़ाई के लिए हर हद पार कर गए
पूरी दुनिया में ऐसे बहुत कम शिक्षक होते हैं जो अपने ऐशो-आराम का जीवन छोड़कर मासूम बच्चों की शिक्षा के लिए बड़े कदम उठाते हैं। हम आज आपको ऐसे से कुछ टीचर्स के बारे में बताएंगें। सबसे पहले हम बात करते हैं, पूर्व IIT के प्रोप्रसर आलोक सागर की… जिन्होंने गरीब बच्चों की शिक्षा और बेहतर भविष्य के लिए अपनी नौकरी, घर और अपने सारे ऐशो-आराम छोड़ दिए। इस खबर में जानिए अमेरिका में शिक्षा, फिर IIT Professor की जॉब होने के बावजूद कैसे एक साइकिल औऱ तीन जोड़ी कपड़ों तक कैसे पहुंच गए प्रोप्रेसर आलोक सागर।
IIT की जॉब छोड़, गरीब बच्चों को पढ़ाने की ठानी
प्रोप्रेसर आलोक सागर ने पहले IIT दिल्ली से इलेक्ट्रॉनिक में इंजीनियरिंग की। उसके बाद आलोक सागर अपनी आगे की पढ़ाई के लिए यूएस चले गए जहां उन्होंने 1977 में ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी से रिसर्च की डिग्री प्राप्त की। वे भारत लौटे तो उन्हें IIT में प्रोप्रेसर की जॉब मिल गई, पर कुछ समय बाद ही उन्होंने इस जॉब को छोड़ दिया और गरीब और आदिवासी बच्चों को पढ़ाने लगे। प्रोप्रेसर आलोक फिलहाल 36 सालों से मध्यप्रदेश के दूर-दराज वाले गांवों में जाकर बच्चों को शिक्षा प्रदान करते हैं।
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दिल्ली के टीचर सत्येंद्र पालम
दिल्ली के रहने वाले सत्येंद्र पालम पिछले छह सालों से यमुना खादर इलाके में फ्लाईओवर के नीचे रोजाना गरीब बच्चों को पढ़ाते हैं। उनकी क्लास तकरीबन 200 गरीब बच्चे अटेंड करते हैं। सत्येंद्र पालम ऐसे बच्चों को शिक्षित बनाते हैं, जिनके मां-बाप उनकी पढ़ाई की फीस उठाने के लिए सक्षम नहीं है। टीचर सत्येंद्र ना सिर्फ बच्चों को पढ़ाते हैं बल्कि गरीब बच्चों को दुनियादारी की समक्ष देते हैं और उनके बेहतर भविष्य के लिए जो बन पड़े वो सब करते हैं।
आलोक सागर और सत्येंद्र पालम जैसे ना जानें कितने शिक्षक हैं जो अपने आस-पास के गरीब और आदिवासी बच्चों के भविष्य के लिए अपनी जीवन पूंजी तक लगा देते हैं। साथ ही ऐसे कई एनजीओ भी है जो पिछड़े इलाकों में जाकर बच्चों को पढ़ाते हैं, उनके लिए किताबों का इंतजाम करते हैं और हर संभव कोशिश करते हैं कि वे उन बच्चों के लिए पढ़ाई से जुड़ी हर जरूरतमंद चीज उपलब्ध करा सके। सलाम है आलोक सागर और सत्येंद्र पालम जैसे सभी शिक्षकों को।