देवरहा बाबा की, जिनकी सिद्धि, प्रसिद्धि, उनके चमत्कार, उनके जैसा तपस्वी, जो यमुना नदी में आधे घंटे से ज्यादा बिना सांस लिए डूब कर साधना करते थे और पानी पर चलते थे। जब वे धूल-मिट्टी में चलते भी थे, तो उनके पैर के पंजों का निशान तक नहीं पड़ता था और न पैर में धूल लगती थी। बाकी पीछे चलने वाले लोगों के पैर में मिट्टी लग जाते थे और धूल पर पंजे के निशान बन जाते थे।
देवरहा बाबा आश्रम में अखंड ज्योति मंच के संयोजक रामदास जी ने बताया कि देवरहा बाबा एक सिद्ध पुरुष और कर्मठ योगी थे। देवरहा बाबा ने कभी अपनी उम्र, तप, शक्ति और सिद्धि के बारे में कोई दावा नहीं किया। वे बिना पूछे ही सबकुछ जान लेते थे। उनके पास बड़े पदों पर बैठे शख्सियत, जब किसी परेशानी में होती थे, तो वे बाबा के पास अपनी समस्या लेकर आते थे, जहां बाबा जी के द्वारा उनकी परेशानियों का निवारण किया जाता था। वे सिद्ध पुरुष थे, जिनकी ख्याति विश्वस्तर की थी।
500 वर्ष से अधिक तक जिंदा रहे बाबा
देवरहा बाबा ने अपना पूरा जीवन सहज, सरल और सादे तरीके से व्यतीत किया। उनके अनुयायियों का मानना है कि बाबा का बिना पूछे हर किसी के बारे में जान लेना उनकी साधना की शक्ति थी। देवरहा बाबा के पास ज्ञान का खजाना था। उनका दर्शन करने के लिए देश-दुनिया के बड़े-बड़े दिग्गज भी उनके पास आते थे। बाबा सरयू नदी के किनारे स्थित अपने आश्रम में बने मचान से भक्तों को दर्शन देते थे। देवरहा बाबा उत्तर प्रदेश के ‘नाथ’ नदौली गांव देवरिया जिले के रहने वाले थे। देवरहा बाबा का जन्म अज्ञात है। उनके अनुयायियों का मानना है कि बाबा 500 से अधिक वर्षों के लिए जिंदा रहे।
पैर के अंगूठे से आशीर्वाद देते थे बाबा
देवरहा बाबा दुबले-पतले थे, लंबी जटा, कंधे पर यज्ञोपवीत और कमर में मृगछाला ही उनकी पहचान थी। देवरहा बाबा का दर्शन करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पं. मदन मोहन मालवीय, जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी बाजपेयी, लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव सहित विदेश के भी अनेकों लोग भी उनका आशीर्वाद लेने के लिए आते थे। यहां तक कि सन 1911 में जॉर्ज पंचम भी देवरहा बाबा का आशीर्वाद लेने उनके आश्रम आए थे। जब भी कोई श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने के लिए आते थे, तो बाबा अपने पैर के अंगूठे से आशीर्वाद देते थे। भक्त मानते थे कि उनके आशीर्वाद मात्र से उनके सारे कष्ट दूर हो जाते थे।
केवल दूध और शहद खा कर जीवित रहे बाबा
देवरहा बाबा का चमत्कार अनोखा था, जहां उनके दर्शन-मात्र से भक्तों के कष्ट दूर हो जाते थे। रामबाहु बलिदास परशुरामपुर कुंड देवरहा बाबा के भक्तों में से एक हैं, जो यह बताते हैं कि देवरहा बाबा पूरे जीवन जब तक जीवित रहे, बी पूरा जीवन निर्वस्त्र रहे। जब तक जीवित रहे दूध और शहद खा कर जीवित रहे। बाबा के नाम सैकड़ों वर्ष जीवित रहने का रिकॉर्ड है और उन्हें कई तरह की सिद्धियां भी प्राप्त थी। बाबा लोगों और जानवरों के मन के बातों को भी जानने में माहिर थे। बाबा के चमत्कारों को लेकर अनेक कहानियां हैं।
देवरहा बाबा का कल्पवास
बाबा देवरहा भगवान श्री राम के भक्त थे और श्री कृष्ण को भी बाबा श्रीराम को अपना ईष्ट देव मानते थे और उनकी पूजा करते थे। देवरहा बाबा वैसे तो सरयू किनारे ही धुनी रमाए रहते थे, लेकिन माघ मेले में कल्पवास के दौरान वो प्रयागराज जरूर जाते थे। महाकुंभ में हमेशा देवरहा बाबा का मचान कई फीट ऊपर लगता था, जहां वे पूजा पाठ साधना करते थे और वहीं से भक्तों को दर्शन देते थे। वे महाकुंभ, अर्धकुंभ में भी शामिल होते थे। वहां भी उनका आशीर्वाद लेने किए लिए भारी भीड़ उमड़ती थी।
राम मंदिर की भविष्यवाणी
कुंभ मेले के दौरान बाबा का गंगा-यमुना के तट पर मचान लगता था। दोनों किनारों पर वो एक-एक महीने प्रवास करते थे। संत देवराहा बाबा ने फरवरी 1989 में प्रयागराज कुंभ में राम मंदिर आंदोलन को सहयोग का ऐलान किया। देश के भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी राम मंदिर निर्माण का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचे थे। उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की भविष्यवाणी भी कर दी। राम मंदिर निर्माण के लिए विश्व हिन्दू परिषद के शिलान्यास की तारीख 9 नवंबर 1989 भी उनके निर्देश पर तय हुई। प्रधानमंत्री राजीव गांधी, विदेश मंत्री नटवर सिंह, गृह मंत्री बूटा सिंह और सीएम नारायण दत्त तिवारी भी उनकी शरण में पहुंचे थे। देवरहा बाबा 19 जून 1990 को ब्रह्मलीन हो गए।