क्यों जरूरी है मृत व्यक्ति का अंतिम संस्कार करना? क्या इसका कोई आध्यात्मिक महत्व भी है?

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कई संस्कृतियों में मृत्यु, जीवन का अंतिम चरण है। आपके कर्मों का योग आखिर में मृत्यु के समय नष्ट हो जाएगा। अंतिम संस्कार का वो प्रक्रिया है जब आत्मा शरीर से निकल जाती है और बस यह भौतिक शरीर रह जाता है। आपका सूक्ष्म शरीर आपके जीवन में किए गए कार्यों का प्रतिनिधित्व करता है, जो बदले में आत्मा को मिलने वाले पुनर्जन्म की प्रकृति को तय करता है लेकिन एक सवाल जो मन में उठता है वो ये कि कि अगर ये भौतिक शरीर मायने ही नहीं रखता और जब इसमें से चेतना निकल जाती है तब इसका अंतिम संस्कार करने का क्या महत्व है?

आपने देखा होगा कि जब कोई व्यक्ति मरता है तो पहला काम जो किया जाता है वह उसके मृत शरीर के दोनों पैरों के अंगूठों को एकसाथ बांध देना होता है। ऐसा किसी रिवाज़ के तहत नहीं किया जाता बल्कि इसके पीछे आध्यात्मिक कारण है। यह एक महत्वपूर्ण क्रिया है क्योंकि इससे मूलाधार को सख्त किया जाता है ताकि जीवन को उस शरीर में फिर से प्रवेश ना मिल सके। मूलाधार वह जगह है जहां से जीवन की शुरुआत होती है और जब शरीर ठंडा पड़ना शरु होता है तब भी यही शरीर का आखिरी गर्म भाग होता है।

शास्त्र क्या कहते हैं?

शास्त्र बताते हैं कि ये ब्रह्मांड और मानव शरीर दोनों 5 तत्वों से मिलकर बना है। पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु और आकाश और मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार शरीर को फिर से इन्हीं पांच तत्वों में मिलने का मौका देता है। अंतिम संस्कार भले ही शरीर का होता है लेकिन ये आत्मा को मोक्ष की तरफ बढ़ाता है। यह आत्मा को नई यात्रा के लिए प्रेरित करता है ताकि वह दोबारा उसी शरीर की तरफ आकर्षित ना हो।