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मराठा साम्राज्य के चमत्कारी किले
Golconda Fort के अनछुए रहस्य!
मराठा साम्राज्य के चमत्कारी किले Golconda Fort के अनछुए रहस्य- हैदराबाद से 11 किलोमीटर दूर मौजूद इस आलीशान Mega Structure गोलकोंडा किले (Golconda Fort) का निर्माण मराठा साम्राज्य के समय में हुआ था। इस शहर और किले का निर्माण ग्रेनाइट हिल से 120 मीटर (480) ऊंचाई पर बना हुआ है और विशाल चहारदीवारी से घिरा हुआ है। गोलकोंडा किले को आर्कियोलॉजिकल ट्रेजर के ‘स्मारकों की सूची’ में भी शामिल किया गया है। असल में गोलकोंडा में चार अलग-अलग किलों का समावेश है जिसकी 10 किलोमीटर लंबी बाहरी दीवार है, 8 प्रवेश द्वार है और 4 उठाऊ पुल है। इसके साथ ही गोलकोंडा में कई सारे शाही अपार्टमेंट और हॉल, मंदिर, मस्जिद, पत्रिका, अस्तबल यानी Horse Stable भी हैं।
किले का आकर्षण केंद्र है ‘विजयी द्वार’
इसके सबसे निचले हिस्से में विजयी द्वार है, इस दरवाजे में आप Sound Reaction भी फील कर सकते हैं। ये गोलकोंडा के मार्बल की मुख्य विशेषता है। बाला निसार रंगमंच पर भी आप दर्शको के तालियों की गूंज को सुन सकते हो। कहा जाता है की प्राचीन समय में आपातकालीन परिस्थितियों को बताने के लिये इन तालियों का उपयोग किया जाता था।
11 किमी. के क्षेत्र में फैला है ये किला
पूरा गोलकोंडा कॉम्प्लेक्स 11 किलोमीटर के विशालकाय क्षेत्र में फैला हुआ है। गोलकोंडा परीसर में हम प्राचीन भारतीय काला, शिल्पकला और वास्तुकला का सुन्दर दृश्य देख सकते है यहाँ बहोत से प्राचीन रंगमंच, प्रवेश द्वार और विशाल हॉल है। गोलकोंडा चार अलग-अलग किलो में बटा हुआ है. गोलकोंडा में आज भी आपको 400 साल पुराना शाही बाग़ दिखाई देगा। किले के प्रवेश द्वार के सामने ही बड़ी दीवार बनी हुई है। यह दीवार राज्य को सैनिकों और हाथियों के आक्रमण से बचाती है।
इस चमत्कारिक किले में एक अद्भुत वाटर सप्लाई सिस्टम है।
कोहीनूर से जुड़े कई रहस्य हैं दफन
सबसे खास बात कि गोलकुंडा फोर्ट को कोहीनूर हीरे के लिए भी जाना जाता है,
ऐसा कहा जाता है
कि कोहीनूर यहीं से चुराकर ब्रिटेन की रानी के ताज में पहुंचा।