
गौमाता पूजन के पावन पर्व गोपाष्टमी की आप सभी को हार्दिक बधाई, शुभकामनाएं। सनातन हिन्दू संस्कृति में गाय का विशेष स्थान हैं। माँ का दर्जा दिया जाता हैं क्यूंकि जैसे एक माँ का हृदय कोमल होता हैं, वैसा ही गाय माता का होता हैं।
सनातन धर्म में गौमाता का महत्व-
- नवग्रहों की शांति के संदर्भ में गाय की विशेष भूमिका होती है। कहा जाता है कि गोदान से सभी अरिष्ट कट जाते हैं।
- कहते हैं कि जो मनुष्य प्रात: स्नान करके गौ स्पर्श करता है, वह पापों से मुक्त हो जाता है।
- गाय के गोबर में लक्ष्मी, गोमूत्र में भवानी, चरणों के अग्रभाग में आकाशचारी देवता, रंभाने की आवाज़ में प्रजापति और थनों में समुद्र प्रतिष्ठित हैं।
- पद्म पुराण के अनुसार गाय के मुख में चारों वेदों का निवास हैं। उसके सींगों में भगवान शंकर और विष्णु सदा विराजमान रहते हैं।
- जिस घर में भोजन करने से पूर्व गौ-ग्रास निकाला जाता है, उस परिवार में अन्न-धन की कभी कमी नहीं होती है।
- शनि की दशा, अंतर्दशा और साढ़ेसाती के समय काली गाय का दान मनुष्य को कष्ट मुक्त कर देता है।
- मंगल के अरिष्ट होने पर लाल वर्ण की गाय की सेवा और निर्धन ब्राह्मण को गोदान मंगल के प्रभाव को क्षीण करता है।
- बुध ग्रह की अशुभता निवारण हेतु गाय को हरा चारा खिलाने से बुध की अशुभता नष्ट होती है।













