भगवान विष्णु का प्रिय अच्युताष्टकम् स्त्रोत का जाप देता है सभी संकटों से मुक्ति

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भगवान कृष्ण, भगवान विष्णु को प्रसन्न कर संकट हरने और रिद्धी सिद्धी देने वाला स्त्रोत है अच्युताष्टकम् स्त्रोत। इस स्त्रोत को सुबह शाम जपने से 41 दिन में मिलता है मनचाहा वरदान।

स्त्रोत के जाप से पहले हाथ मुंह धो लें और फिर भगवान का मन में स्मरण कर स्त्रोत का जप शुरु करें-

“अच्युताष्टकम् स्त्रोत आदि गुरु शंकराचार्य कृत”

अच्युतं केशवं रामनारायणं, कृष्णदामोदरं, वासुदेवं हरिम्।
श्रीधरं माधवं गोपीकावल्लभं, जानकीनायकं रामचन्द्रं भजे ॥1॥

अच्युतं केशवं सत्यभामाधवं माधवं, श्रीधरं राधिकाराधितम्।
इन्दिरामन्दिरं चेतसा सुन्दरं, देवकीनंदनं नंदजं संदधे ॥2॥

विष्णवे जिष्णवे शंखिने चक्रिणे, रुक्मिणीरागिणे जानकीजानये।
बल्लवीवल्लभायाऽर्चितायात्मने, कंसविध्वंसिने वंशिने ते नम: ॥3॥

कृष्ण गोविन्द हे राम नारायण, श्रीपते वासुदेवाजित श्रीनिधे।
अच्युतानन्त हे माधवाधोक्षज, द्वारकानायक द्रोपदीरक्षक ॥4॥

राक्षसक्षोभित: सीतया शोभितो, दण्डकारण्यभूपुण्यताकारण:।
लक्ष्मणेनान्वितो वानरै:, सेवितोऽगस्त्यसंपूजितो राघव: पातु मां ॥5॥

धेनुकारिष्टकोऽनिष्टकृद् द्वेषिणां, केशिहा कंसह्रद्वंशिकावादक:।
पूतनाकोपक: सूरजाखेलनो, बालगोपालक: पातु मां सर्वदा ॥6॥

विद्युदुद्योतवान् प्रस्फुरद्वाससं, प्रावृडम्भोदवत् प्रोल्लसद्विग्रहम्।
वन्यया मालया शोभितोरस्थलं, लोहितांघ्रिद्वयं वारिजाक्षं भजे ॥7॥

कुंचितै: कुन्तलैर्भ्राजमानाननं, रत्नमौलिं लसत् कुंडलं गण्डयो:।
हारकेयूरकं कंकणप्रोज्ज्वलं, किंकिणीमंजुलं श्यामलं तं भजे ॥8॥

अच्युतस्याष्टकं य: पठेदिष्टदं, प्रेमत: प्रत्यहं पूरुष: सस्पृहम्।
वृत्तत: सुन्दरं कर्तृविश्वम्भरं, तस्य वश्यो हरिर्जायते सत्वरं ॥9॥

इति श्रीमच्छंकराचार्यविरचितं अच्युताष्टकं संपूर्णं