श्री राधा जी की आरती।। Aarti Radha ji ki…

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श्री राधा जी की आरती

आरती श्री वृषभानुसुता की |

मंजु मूर्ति मोहन ममताकी || टेक ||

त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि,

विमल विवेकविराग विकासिनि |

पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि,

सुन्दरतम छवि सुन्दरता की ||

मुनि मन मोहन मोहन मोहनि,

मधुर मनोहर मूरती सोहनि |

अविरलप्रेम अमिय रस दोहनि,

प्रिय अति सदा सखी ललिताकी ||

संतत सेव्य सत मुनि जनकी,

आकर अमित दिव्यगुन गनकी,

आकर्षिणी कृष्ण तन मनकी,

अति अमूल्य सम्पति समता की ||

कृष्णात्मिका, कृषण सहचारिणि,

चिन्मयवृन्दा विपिन विहारिणि |

जगज्जननि जग दुःखनिवारिणि,

आदि अनादिशक्ति विभुताकी ||