सूर्य देव को नवग्रहों का राजा माना जाता है। हालांकि खगोल विज्ञान के अनुसार सूर्य एक तारा है लेकिन ज्योतिषशास्त्र में इसे एक ग्रह माना गया है। हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोग एक देवता के रुप में सूर्य की उपासना करते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार यदि प्रतिदिन सूर्योदय के समय सूर्य देव को जल चढ़ाया जाए तो जन्म कुंडली में मौजूद सूर्य संबंधित दोषों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही सूर्य की उपासना करने से शारीरिक तेज और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। वैदिक ज्योतिष में सूर्य को आत्मा, पूर्वज, पिता और सरकारी सेवा का कारक माना गया है। कुंडली में मौजूद सभी 12 राशियों में से केवल एक राशि सिंह का स्वामित्व सूर्य देव को प्राप्त है। इसके साथ ही सूर्य देव कृतिका, उत्तराफाल्गुनी उत्तराषाढ़ा नक्षत्रों के स्वामी हैं।
सूर्य का कुंडली में प्रभाव
यदि आपकी राशि में सूर्य अच्छी स्थिति में विराजमान है तो जीवन में आपको मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है। सूर्य की अच्छी स्थिति आपको अच्छे कामों को करने की तरफ प्रेरित करती है। ऐसे जातकों को खुद पर पूरा नियंत्रण होता है। अगर किसी जातक की कुंडली में सूर्य बली है तो उसके मन में सकारात्मक विचार आते हैं और जीवन के प्रति उसका नज़रिया सकारात्मक होता है। वहीं अगर किसी कुंडली में सूर्य की स्थिति अच्छी न हो तो इसके बुरे प्रभाव आपको परेशान कर सकते हैं। इसलिए सूर्य के अच्छे फलों की प्राप्ति के लिए सूर्य ग्रह की शांति के उपाय करने चाहिए। सूर्य ग्रह की शांति के बहुत से उपाय हैं जिनमें से कुछ उपायों के बारे में हम आपको बताते हैं।
सूर्य ग्रह की शांति के उपाय
सूर्य ग्रह की शांति के लिए सूर्य के बीज मंत्र ‘ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः’ का हर रोज जाप करना चाहिए। सूर्य ग्रह की शांति के लिए आप एक मुखी या बारह मुखी रुद्राक्ष को धारण कर सकते हैं। सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आप बेल मूल जड़ी को धारण करें। इस जड़ी को आप सूर्य की होरा या सूर्य के नक्षत्र में रविवार के दिन धारण करना उचित रहता है।
सूर्य गोचर का समय
सूर्य गोचर का समय सूर्य देव अब 18 अक्टूबर 2019, शुक्रवार 00:41 बजे कन्या से तुला राशि में गोचर करेगा और 17 नवंबर 2019, रविवार 00:30 बजे तक इसी राशि में स्थित रहेगा। सूर्य के इस राशि परिवर्तन का प्रभाव सभी राशियों पर होगा। आईये इस राशिफल के माध्यम से डालते हैं उन प्रभावों पर