देश की आंतरिक सुरक्षा को तकनीकी ताकत देने की नई पहल, DRDO और RRU के बीच समझौता

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भारत की रक्षा तकनीकी क्षमता और आंतरिक सुरक्षा तंत्र को और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (RRU) के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस रणनीतिक साझेदारी का उद्देश्य अत्याधुनिक तकनीकों के जरिए देश की सुरक्षा चुनौतियों का प्रभावी समाधान करना और सुरक्षा बलों के लिए कुशल एवं तकनीकी रूप से दक्ष मानव संसाधन तैयार करना है।

तकनीक और प्रशिक्षण का होगा समन्वय

इस समझौते के तहत DRDO द्वारा विकसित उन्नत रक्षा तकनीकों को जमीनी स्तर तक पहुंचाने के लिए RRU विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम, पाठ्यक्रम और कार्यशालाएं संचालित करेगा। इससे पुलिस, अर्धसैनिक बलों और आंतरिक सुरक्षा एजेंसियों को आधुनिक तकनीकों के उपयोग में दक्ष बनाया जाएगा।

दोनों संस्थान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), साइबर सुरक्षा, ड्रोन तकनीक और अन्य उभरते क्षेत्रों में संयुक्त अनुसंधान (Joint Research) करेंगे। इसका उद्देश्य भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों को पहले से पहचानना और उनके लिए प्रभावी समाधान विकसित करना है।

आंतरिक सुरक्षा और सीमा प्रबंधन को मजबूती

MoU के तहत सीमा प्रबंधन, कानून व्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए नई तकनीकी प्रणालियों का विकास किया जाएगा। विशेष रूप से बढ़ते साइबर खतरों को देखते हुए देश के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे (Critical Infrastructure) की सुरक्षा के लिए विशेष प्रोटोकॉल तैयार किए जाएंगे।

युवाओं के लिए नए करियर अवसर

इस साझेदारी के माध्यम से रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में करियर बनाने के इच्छुक युवाओं के लिए नए डिप्लोमा और डिग्री प्रोग्राम शुरू किए जाएंगे। ये पाठ्यक्रम उद्योग और सुरक्षा बलों की वास्तविक जरूरतों से जुड़े होंगे, जिससे रोजगारपरक शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा।

‘साइलो’ संस्कृति से बाहर निकलने की कोशिश

विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता संस्थानों के बीच अलग-थलग (Silo) होकर काम करने की परंपरा को खत्म करेगा और आपसी सहयोग को मजबूत करेगा। DRDO की प्रयोगशालाओं में विकसित नवाचार अब सीधे सुरक्षा बलों की फील्ड जरूरतों से जुड़ सकेंगे।

शीर्ष नेतृत्व की प्रतिक्रिया

हस्ताक्षर समारोह के दौरान वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि भविष्य के युद्ध केवल सीमाओं पर नहीं, बल्कि तकनीकी और डिजिटल मोर्चों पर भी लड़े जाएंगे।

DRDO के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, यह समझौता न केवल अनुसंधान को गति देगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि हमारे सुरक्षा बल आधुनिकतम उपकरणों के संचालन में पूरी तरह सक्षम हों। हम आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को रक्षा नवाचार के माध्यम से साकार कर रहे हैं।

अगले चरण में DRDO और RRU की एक संयुक्त कार्य समिति (Joint Working Committee) का गठन किया जाएगा। यह समिति परियोजनाओं की नियमित समीक्षा करेगी और सुरक्षा बलों की तात्कालिक जरूरतों के अनुसार नए तकनीकी समाधान विकसित करने का मार्ग प्रशस्त करेगी।