
भारत और न्यूजीलैंड ने अपने आर्थिक रिश्तों को नई मजबूती देते हुए मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की दिशा में अहम प्रगति की है। दोनों देशों ने आपसी व्यापार को मौजूदा स्तर से दोगुना करने का साझा लक्ष्य तय किया है। इस संभावित समझौते से न केवल व्यापारिक बाधाएं कम होंगी, बल्कि उद्योगों, निवेशकों और उपभोक्ताओं के लिए भी नए अवसर खुलेंगे।
5 अरब डॉलर के व्यापार का लक्ष्य
वर्तमान में भारत और न्यूजीलैंड के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 2.5 अरब डॉलर का है। FTA के तहत दोनों देशों ने इसे आने वाले वर्षों में 5 अरब डॉलर तक पहुंचाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। माना जा रहा है कि शुल्क में कटौती और आसान बाजार पहुंच से व्यापार को तेज रफ्तार मिलेगी।
कृषि, आईटी और शिक्षा पर फोकस
समझौते में कृषि उत्पाद, डेयरी तकनीक, कीवी फल, ऊन और लकड़ी जैसे क्षेत्रों के साथ-साथ आईटी सेवाओं और शिक्षा में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया है। न्यूजीलैंड भारत के विशाल उपभोक्ता बाजार में अपने कृषि उत्पादों की पहुंच बढ़ाना चाहता है, जबकि भारत सेवा क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति को और विस्तार देना चाहता है।
भारतीय निर्यातकों को बड़ा फायदा
FTA से भारतीय निर्यातकों के लिए न्यूजीलैंड का बाजार फार्मास्यूटिकल्स, जेम्स एंड ज्वेलरी, टेक्सटाइल और मशीनरी जैसे क्षेत्रों में अधिक सुलभ होगा। साथ ही, भारतीय पेशेवरों और छात्रों के लिए वीजा नियमों में सरलता की उम्मीद भी जताई जा रही है।
डेयरी सेक्टर पर संतुलित रुख
भारत ने अपने घरेलू डेयरी उद्योग की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कुछ संवेदनशील उत्पादों पर बातचीत में सावधानी बरती है। वहीं, न्यूजीलैंड ने भारत की चिंताओं को समझते हुए प्रत्यक्ष निर्यात के बजाय डेयरी तकनीक और विशेषज्ञता साझा करने पर जोर देने की बात कही है।
निवेश और स्टार्टअप को बढ़ावा
दोनों देशों ने एक-दूसरे के यहां प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को प्रोत्साहित करने और स्टार्टअप ईकोसिस्टम के बीच सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति जताई है। इससे तकनीकी नवाचार, रोजगार सृजन और कौशल विकास को बढ़ावा मिलने की संभावना है।
हिंद-प्रशांत में रणनीतिक महत्व
यह संभावित FTA केवल आर्थिक ही नहीं, बल्कि रणनीतिक दृष्टि से भी अहम माना जा रहा है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समावेशी विकास को लेकर भारत और न्यूजीलैंड का साझा दृष्टिकोण इस समझौते को और मजबूती देता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि न्यूजीलैंड की उन्नत कृषि तकनीक और भारत का विशाल बाजार यदि एक-दूसरे की पूरक क्षमताओं का सही उपयोग करें, तो यह समझौता वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक नई मिसाल बन सकता है। कुल मिलाकर, यह पहल ‘मेक इन इंडिया’ और न्यूजीलैंड की निर्यात रणनीति के बीच बेहतर संतुलन की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।













