
रिलायंस जियो प्लेटफ़ॉर्म्स अब भारत की सीमाओं से आगे बढ़कर अपनी 5G टेक्नोलॉजी को वैश्विक स्तर पर फैलाने की तैयारी में है। प्रतिष्ठित ब्रोकरेज फर्म जेफरीज़ की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, जियो के उन्नत और किफायती 5G समाधान दुनिया के 121 अरब डॉलर के टेलीकॉम टेक्नोलॉजी मार्केट में भारत की मजबूत मौजूदगी दर्ज करा सकते हैं।
जियो ने मोबाइल और होम ब्रॉडबैंड दोनों क्षेत्रों के लिए पूरी तरह स्वदेशी 5G सॉल्युशंस तैयार कर लिए हैं, जिनमें ओपन RAN आधारित रेडियो, नेटवर्क कोर, क्लाउड-नेटिव OSS/BSS सिस्टम और AI-सक्षम ऑटोमेशन प्लेटफ़ॉर्म शामिल हैं। कंपनी की ‘जियो एयर फाइबर’ तकनीक घरेलू ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी में भी तेजी से लोकप्रिय हो रही है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि वैश्विक स्तर पर 5G नेटवर्क कवरेज अभी भी सीमित है, खासकर विकासशील देशों में। वहीं बाजार में कुछ चुनिंदा मल्टीनेशनल कंपनियां ही नेटवर्क हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर उपलब्ध करा रही हैं। ऐसे में, जियो का ओपन आर्किटेक्चर आधारित सॉफ्टवेयर मॉडल लागत को घटाएगा और इससे विकासशील देशों में 5G तकनीक की पहुंच आसान होगी।
जेफरीज़ के अनुसार, जियो के पास अपनी स्वदेशी तकनीक को विदेशी बाजारों में बेचकर भारी राजस्व अर्जित करने के अवसर हैं। कंपनी के टेक्नोलॉजिकल निवेश का परिणाम भी साफ दिख रहा है — पिछले कुछ वर्षों में जियो की पेटेंट फाइलिंग्स में 13 गुना और पेटेंट ग्रांट्स में 4 गुना वृद्धि हुई है। साथ ही, 5G और 6G के अंतरराष्ट्रीय मानक तय करने की प्रक्रिया में जियो का योगदान भी सात गुना बढ़ा है।
रिपोर्ट का अनुमान है कि मोबाइल टैरिफ में बढ़ोतरी, होम ब्रॉडबैंड विस्तार, और टेक्नोलॉजी निर्यात के ज़रिए जियो आने वाले वर्षों में और मजबूत विकास की दिशा में आगे बढ़ेगा। जेफरीज़ ने अनुमान लगाया है कि दिसंबर 2026 तक जियो का एंटरप्राइज़ वैल्यू 180 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।













