
भारत और अमेरिका ने रक्षा क्षेत्र में 10 वर्षों के दीर्घकालिक रक्षा सहयोग ढांचे (Defence Cooperation Framework) पर सहमति जताई है। इस ऐतिहासिक समझौते के साथ दोनों देशों के रणनीतिक और सैन्य संबंध नई ऊंचाई पर पहुंच गए हैं। समझौता रक्षा उत्पादन, तकनीकी हस्तांतरण, संयुक्त अभ्यास, अनुसंधान एवं विकास और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करेगा।
यह समझौता भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन की मौजूदगी में हुआ। बैठक में दोनों पक्षों ने भविष्य की रणनीतिक साझेदारी, रक्षा उपकरण निर्माण, नौसैनिक सहयोग और साइबर सुरक्षा पर विस्तार से चर्चा की।
संयुक्त परियोजनाओं का विकास
समझौते के तहत भारत और अमेरिका अब संयुक्त रूप से अगली पीढ़ी के लड़ाकू विमान, ड्रोन सिस्टम, नौसैनिक जहाज और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित रक्षा समाधान विकसित करेंगे।
राजनाथ सिंह ने कहा कि यह समझौता 21वीं सदी की चुनौतियों के लिए साझेदारी है और इससे दोनों सेनाओं के बीच विश्वास और सहयोग और मजबूत होगा। उन्होंने कहा कि दोनों देश समुद्री सुरक्षा, अंतरिक्ष और साइबर खतरों जैसी नई चुनौतियों से मिलकर निपटेंगे। अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने इसे ऐतिहासिक मोड़ करार देते हुए कहा कि यह साझेदारी लोकतांत्रिक मूल्यों और साझा हितों पर आधारित है।
‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा
समझौते के तहत अमेरिकी कंपनियां अब भारत में ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियानों के तहत उत्पादन इकाइयां स्थापित करेंगी। इसके जरिए उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकी का स्थानीय निर्माण और निर्यात क्षमता को बढ़ावा मिलेगा। भारत और अमेरिकी कंपनियां इंजन निर्माण, रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स, मिसाइल सिस्टम और लड़ाकू विमान पुर्जों के संयुक्त विकास पर मिलकर काम करेंगी।
इंडो-पैसिफिक में सुरक्षा सहयोग
दोनों देशों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा और नौवहन की स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए संयुक्त नौसैनिक अभ्यासों को और विस्तारित करने पर सहमति जताई। “मालाबार” जैसे बहुपक्षीय अभ्यासों को और सशक्त बनाया जाएगा। अमेरिकी पक्ष ने कहा कि भारत की भौगोलिक स्थिति और सैन्य क्षमता इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने में निर्णायक भूमिका निभा सकती है।
नवाचार और तकनीकी साझेदारी
भारत और अमेरिका ने रक्षा अनुसंधान संस्थानों तथा निजी क्षेत्र के बीच इनोवेशन और तकनीकी सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति जताई। इसके तहत एक संयुक्त रक्षा नवाचार केंद्र (Joint Defence Innovation Cell) स्थापित किया जाएगा, जहां क्वांटम कंप्यूटिंग, साइबर सुरक्षा और एआई जैसी उन्नत तकनीकों पर काम होगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता भारत-अमेरिका संबंधों में आपसी विश्वास और रणनीतिक निर्भरता के नए युग की शुरुआत है। यह न केवल सैन्य सहयोग का प्रतीक है, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन में भारत की बढ़ती भूमिका को भी रेखांकित करता है। यह समझौता भारत-अमेरिका संबंधों को आने वाले दशक के लिए नई दिशा देगा और एक मजबूत, सुरक्षित तथा स्थिर विश्व व्यवस्था की नींव रखेगा।













