अंधकार पर प्रकाश की विजय का पर्व, जानिए दिवाली पर जुआ खेलने की धार्मिक मान्यता और शुभ-अशुभ पक्ष

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प्रकाश और खुशहाली का महापर्व दीपावली इस वर्ष 20 अक्टूबर 2025 (सोमवार) को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, कार्तिक अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर दोपहर 3:44 बजे से शुरू होकर 21 अक्टूबर शाम 5:54 बजे तक रहेगी। सूर्यास्त के बाद मां लक्ष्मी की पूजा के साथ ही दीपावली उत्सव का चरम शुरू होगा।

दीपावली केवल दीयों का पर्व नहीं, बल्कि अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इस दिन धन, वैभव और समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है, ताकि घर में सुख, शांति और संपन्नता बनी रहे।

दिवाली पर जुआ खेलने की परंपरा — शुभ या अशुभ?

दीपावली की रात जुआ खेलने की परंपरा सदियों पुरानी है। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, गोवर्धन पूजा (अन्नकूट) के अवसर पर देवी पार्वती और भगवान शिव ने पासों का खेल खेला था। कथा के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव को जुआ खेलने का निमंत्रण दिया और खेल में भगवान शिव हार गए। तब से यह मान्यता प्रचलित हुई कि जो व्यक्ति दिवाली की रात जुआ खेलता है, उसके घर वर्षभर धन और समृद्धि का आगमन होता है।

दूसरी ओर, महाभारत काल से जुड़ी एक कथा जुआ खेलने के अशुभ पक्ष को उजागर करती है। कहा जाता है कि पांडवों ने दिवाली के दिन ही जुए में अपना सब कुछ दांव पर लगाकर खो दिया था, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें वनवास भोगना पड़ा। इसी प्रसंग के आधार पर कई लोग जुआ को विनाशकारी और निषिद्ध कर्म मानते हैं।

 धार्मिक दृष्टि से क्या है मान्यता

धर्मग्रंथों में जुए को सामान्यतः निषिद्ध बताया गया है, लेकिन दीपावली की रात को “महानिशा” कहा जाता है — जो शुभता और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरी होती है। मान्यता है कि इस रात यदि कोई व्यक्ति मनोरंजन या परंपरा के तौर पर जुआ खेलता है और जीतता है, तो आने वाला वर्ष आर्थिक रूप से लाभदायक और सौभाग्यशाली होता है।

धनतेरस से शुरू होकर दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज तक चलने वाला यह पर्व पांच दिनों तक मनाया जाता है। घरों, बाजारों और मंदिरों में रोशनी की जगमगाहट, मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की आराधना तथा परस्पर शुभकामनाओं से यह पर्व पूरे देश में उल्लास का वातावरण बना देता है।