
नेपाल में जारी हिंसक घटनाओं ने हालात को और गंभीर बना दिया है। बीते कई दिनों से चले आ रहे प्रदर्शनों और झड़पों में अब तक 51 लोगों की मौत हो चुकी है। हालात की गंभीरता को देखते हुए नेपाल की संसद के दोनों सदनों प्रतिनिधि सभा और राष्ट्रीय सभा के अध्यक्षों ने शुक्रवार को संयुक्त बयान जारी किया और देशवासियों से शांति बनाए रखने की अपील की।
पुलिस और सुरक्षाबलों के साथ हुई झड़पों में मृतकों की संख्या बढ़ने से देशभर में तनाव गहराता जा रहा है। कई जिलों में धारा 144 लागू है और इंटरनेट सेवाएँ बंद कर दी गई हैं। राजधानी काठमांडू में सुरक्षा बलों की गश्त तेज कर दी गई है, जबकि प्रदर्शनकारी अब भी सरकार विरोधी नारों के साथ सड़कों पर उतर रहे हैं। संयुक्त बयान में प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष और राष्ट्रीय सभा के अध्यक्ष ने कहा कि हिंसा और अस्थिरता से लोकतांत्रिक व्यवस्था को नुकसान होगा। उन्होंने राजनीतिक दलों और नागरिक समाज से धैर्य और संयम बरतने की अपील की। साथ ही सरकार और प्रदर्शनकारियों से संवाद के जरिए समाधान निकालने पर बल दिया।
नेपाल में बिगड़ते हालात पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी चिंता जताई है। पड़ोसी देशों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र ने हिंसा पर कड़ी निगरानी रखी है और सभी पक्षों से संयम बरतने को कहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि मृतकों की संख्या बढ़ने और हिंसा थमने के कोई संकेत न दिखने से सरकार पर दबाव और बढ़ेगा। विपक्ष पहले ही सड़कों से लेकर संसद तक सरकार के खिलाफ आक्रामक हो चुका है।