
उत्तराखंड में इस बार के पंचायत चुनावों में महिलाओं की भागीदारी पहले से कहीं अधिक देखने को मिलेगी। पंचायत राज व्यवस्था के तहत ग्राम प्रधान के कुल 7499 पदों में से 3772 पद महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं, जो वर्ष 2019 की तुलना में अधिक हैं।
राज्य सरकार ने पंचायत चुनावों में सभी वर्गों — अनारक्षित, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग में महिलाओं को 50% आरक्षण की व्यवस्था दी है। केवल अनारक्षित वर्ग में ही 2690 पद महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं।
2019 के पंचायत चुनावों में 52% से अधिक महिलाएं निर्वाचित हुई थीं। इस बार यह संख्या और बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में नवोन्मेषी, शिक्षित और जागरूक महिला प्रत्याशियों को लेकर गहमागहमी बढ़ गई है।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक मजबूत कद
पिछले चुनावों में बड़ी संख्या में महिलाएं पहली बार पंचायत राजनीति में उतरी थीं और उन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में प्रभावशाली नेतृत्व दिया। इस बार भी राज्य भर के गांवों में महिलाओं की राजनीतिक सक्रियता स्पष्ट रूप से देखी जा रही है।
पंचायत चुनावों में महिला आरक्षण ने न सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक संतुलन स्थापित किया है, बल्कि महिला सशक्तिकरण को भी नई दिशा दी है।