
आज पूरे देश में श्रद्धा और भक्ति के साथ वट सावित्री व्रत मनाया जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को रखा जाने वाला यह व्रत पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना के लिए महिलाएं करती हैं। यह व्रत विशेष रूप से उत्तर भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
वट सावित्री व्रत 2025 पूजा मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, आज पूजा के लिए तीन शुभ मुहूर्त हैं:
चौघड़िया मुहूर्त: सुबह 8:52 से 10:25 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:51 से दोपहर 12:46 बजे तक
दोपहर मुहूर्त: दोपहर 3:45 से 5:28 बजे तक
इन समयों में पूजा करना विशेष फलदायक माना गया है।
व्रत की पूजा विधि
महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और लाल वस्त्र धारण करें।
सोलह श्रृंगार करें और पूजा सामग्री जैसे — जल, रोली, मौली, फूल, मिठाई आदि एकत्र करें।
पास के किसी वट (बरगद) वृक्ष के पास जाकर उसकी जड़ में जल चढ़ाएं।
वट वृक्ष की सात परिक्रमा करें और हर परिक्रमा में पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करें।
सावित्री और सत्यवान की कथा का श्रवण करें या स्वयं पढ़ें।
पूजा के अंत में आरती करें और भूल-चूक के लिए क्षमा याचना करें।
व्रत में अर्पित किए जाने वाले भोग
व्रत की पूजा में विभिन्न फल जैसे आम, केला, खजूर आदि चढ़ाए जाते हैं। कई क्षेत्रों में पूड़ी, हलवा और चने की दाल भी विशेष भोग के रूप में बनाई जाती है।
महत्वपूर्ण मंत्र
पूजा के दौरान निम्न मंत्रों का जाप करने से व्रत का पुण्य फल और बढ़ता है:
ॐ सावित्र्यै नमः
ॐ सत्यवानाय नमः
वट सिंचामि ते मूलं सलिलैरमृतोपमैः ।
यथा शाखाप्रशाखाभिर्वृद्धोऽसि त्वं महीतले ।
तथा पुत्रैश्च पौत्रैश्च सम्पन्नं कुरु मां सदा ॥
यह व्रत पौराणिक गाथा सावित्री-सत्यवान की कथा पर आधारित है, जिसमें सावित्री ने अपने तप और भक्ति से यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लिए थे। यह व्रत स्त्रियों के लिए सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है।
अस्वीकरण: यह लेख धार्मिक मान्यताओं और पौराणिक कथाओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल जानकारी देना है। पाठक अपने विवेक और आस्था के अनुसार निर्णय लें।