
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के महानिदेशक राफेल मारियानो ग्रॉसी ने आज नई दिल्ली में सुषमा स्वराज भवन में वैश्विक परमाणु ऊर्जा भागीदारी केंद्र (जीसीएनईपी) में एस एन बोस भवन का उद्घाटन किया। उन्होंने कार्यक्रम के दौरान परमाणु इंजीनियरिंग पर सर्टिफिकेट कोर्स की भी शुरुआत की।
इस अवसर पर आईएईए के महानिदेशक ग्रॉसी ने परमाणु विज्ञान और क्षमता निर्माण में वैश्विक सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला। परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष और परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव डॉ. अजीत कुमार मोहंती ने परमाणु ऊर्जा का उपयोग करके सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए परमाणु प्रौद्योगिकी और वैश्विक सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
प्रख्यात भारतीय भौतिक विज्ञानी डॉ. सत्येंद्र नाथ बोस के सम्मान में नामित नवनिर्मित एस एन बोस भवन परमाणु विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अनुसंधान और प्रशिक्षण के लिए उन्नत केंद्र के रूप में काम करेगा। इस सुविधा में जीसीएनईपी के विशेष विद्यालयों की जरूरतों को पूरा करने वाली अत्याधुनिक प्रयोगशालाएँ हैं, जो परमाणु सुरक्षा, रिएक्टर प्रौद्योगिकी, विकिरण सुरक्षा, परमाणु सामग्री लक्षण वर्णन और रेडियोआइसोटोप अनुप्रयोगों में इसकी क्षमताओं को बढ़ाती हैं।
कार्यक्रम के दौरान शुरू किया गया परमाणु इंजीनियरिंग पर सर्टिफिकेट कोर्स छह महीने का कार्यक्रम है, जिसे रिएक्टर भौतिकी, परमाणु ईंधन चक्र, रेडियोलॉजिकल सुरक्षा, परमाणु सुरक्षा उपायों और परमाणु प्रौद्योगिकी के उभरते अनुप्रयोगों पर गहन ज्ञान प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस कोर्स को वैश्विक स्तर पर जीसीएनईपी के सभी हस्ताक्षरकर्ताओं के लिए खोलने की योजना है। इसमें एक बैच में 40 अंतरराष्ट्रीय और 10 राष्ट्रीय प्रतिभागियों को शामिल किया जाएगा। इस कोर्स का उद्देश्य परमाणु ऊर्जा के सुरक्षित, संरक्षित और टिकाऊ उपयोग में योगदान देने के लिए सुसज्जित परमाणु पेशेवरों की नई पीढ़ी को बढ़ावा देना है।
जीसीएनईपी के सदस्य देशों ने वैश्विक परमाणु सहयोग के प्रति अपनी वनचबद्धता की पुष्टि की, जिसमें उन्नत रिएक्टर प्रौद्योगिकियों, कार्यबल विकास, शिक्षा और प्रशिक्षण तथा सार्वजनिक पहुंच पर बल दिया गया। चर्चाओं में अंतरराष्ट्रीय भागीदारी, अप्रसार और द्विपक्षीय सहयोग के विस्तार पर प्रकाश डाला गया। जलवायु परिवर्तन को कम करते हुए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने में परमाणु ऊर्जा की भूमिका को रेखांकित किया गया, साथ ही स्वास्थ्य सेवा, कैंसर देखभाल, तकनीकी सहयोग और वैश्विक स्वास्थ्य अनुसंधान में इसके योगदान पर भी बल दिया गया।
इस कार्यक्रम में जीसीएनईपी भागीदार देशों के राजनयिक, विदेश मंत्रालय और परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
वैश्विक परमाणु ऊर्जा भागीदारी केंद्र परमाणु अनुसंधान, नवाचार और क्षमता निर्माण में अग्रणी वैश्विक देश के रूप में भारत की भूमिका को मजबूत करना जारी रखता है, जो नेट जीरो के लक्ष्य को प्राप्त करने और दुनिया भर में स्थायी ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देने के व्यापक दृष्टिकोण का समर्थन करता है।